9 नवंबर को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के शपथ लेने के बाद पहले 1 महीने 7 दिन यानी सवा महीने में 16 दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट ने कुल 6844 मामलों का निपटारा किया. बीते दो हफ्तों में तो निपटारे की रफ्तार 209 फीसदी तक बढ़ी है.
इनमें 2511 जमानत पाने और केस ट्रांसफर करने लिए दायर की गई याचिकाएं भी शामिल हैं. इस दरमियान 5898 नए केस भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए है. दिसंबर के दो हफ्तों यानी 5 से 16 दिसंबर के दरम्यान 2697 नए मुकदमे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए तो निपटारे की रफ्तार 5642 तक बढ़ गई.
अब सुप्रीम कोर्ट में 68,835 मुकदमे लंबित रह गए हैं. पहले ये संख्या लगभग 73 हजार थी. ये आंकड़े कुछ इस लिहाज से भी जारी किए गए हैं कि सरकार को संदेश भेजा जा सके कि बार- बार लंबित मुकदमों के पहाड़ और छोटे मुकदमों की बात कहकर जो ताने दिए जाते हैं उसका जवाब दिया जा सके. ये बताया जा सके कि लंबित मामलों में निजी स्वतंत्रता से संबंधित मामलों की संख्या कितनी है और किसी नागरिक के लिए वो जीवन की आजादी निजी तौर पर कितनी अहम है.
हाल ही में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान लंबित मुकदमों के बढ़ते बोझ और सुप्रीम कोर्ट के जमानत और केस के एक से दूसरे कोर्ट में तबादले जैसे छोटे मोटे मुकदमों पर समय लगाने को लेकर आए. उनकी चर्चा भी हुई. अगले दिन बिजली चोरी के एक मामले में 18 साल की सजा पाए दोषी को चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ ने बरी और रिहा करते हुए कई बातें कहीं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने उस मामले को सामने रखते हुए कहा कि हमारे सामने आया कोई भी मामला छोटा नहीं होता. व्यक्तिगत स्वतंत्रता अनमोल है. हम उसके संरक्षक हैं. हम अपनी रातों की नींद और आराम इसके लिए ही दांव पर रखते हैं.
संजय शर्मा