'सरकार ने बातचीत शुरू नहीं की तो...', सोनम वांगचुक ने फिर दी आंदोलन की चेतावनी, जानें- क्या है उनकी मांगें

सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन मांगों पर बातचीत के लिए अगर केंद्र सरकार लद्दाख के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं करती है तो वो स्वतंत्रता दिवस पर 28 दिन का अनशन शुरू करेंगे.

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सोनम वांगचुक सोनम वांगचुक

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:21 AM IST

लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार ने बातचीत शुरू नहीं की तो वो 15 अगस्त से एक बार फिर अनशन शुरू करेंगे. ये अनशन 28 दिन का होगा. 

सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन मांगों पर बातचीत के लिए अगर केंद्र सरकार लद्दाख के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं करती है तो वो स्वतंत्रता दिवस पर 28 दिन का अनशन शुरू करेंगे.

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उन्होंने बताया कि करगिल विजय दिवस की 25वीं सालगिरह पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रास आए थे, तब अपेक्स बॉडी लेह (ABL) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने इन मांगों पर एक ज्ञापन उन्हें सौंपा था. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ज्ञापन सौंपने के बाद बातचीत के लिए आमंत्रित किया जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे.

इससे पहले इसी साल मार्च में भी सोनम वांगचुक ने 21 दिनों का अनशन किया था. तब उन्होंने सिर्फ नमक और पानी पीकर अनशन किया था. वांगचुक ने सरकार पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण देने का वादा तोड़ने का आरोप लगाया है.

क्या है उनकी मांगें?

एबीएल और केडीए की लद्दाख को लेकर कई मांगें हैं. सबसे बड़ी मांग है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि उसे संवैधानिक सुरक्षा मिल सके. इसके साथ ही लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. इसके पीछे तर्क है कि पहले अनुच्छेद 370 की वजह से लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा मिली थी, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है. 

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छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत विशेष प्रावधान हैं. इसके चलते ही असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन है. छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है.

छठी अनुसूची स्वायत्त जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करता है. इन स्वायत्त जिला परिषदों को लैंड रेवेन्यू जमा करने, टैक्स लगाने, कारोबार को रेगुलेट करने, खनिजों के खनन के लिए लाइसेंस या पट्टा जारी करने के साथ-साथ स्कूल, मार्केट और सड़कें बनाने का अधिकार भी होता है.

इसके अलावा एबीएल और केडीए ने लद्दाख में पब्लिक सर्विस कमिशन (पीएससी) का गठन करने की मांग भी की है, ताकि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा हो सकें. पहले यहां के लोग जम्मू-कश्मीर पीएससी में अप्लाई करते थे.

5 अगस्त 2019 को बना था यूटी

लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं है.

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