पूर्वोत्तर भारत के लोगों के साथ भेदभाव पर कानून बनाने के मुद्दे पर SC ने किया इनकार, कहा- ये सरकार का काम

पूर्वोत्तर भारत के लोगों के साथ भेदभाव से निपटने के लिए कानून बनाने और देश के इस हिस्से के इतिहास, भूगोल की जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मसला है. नीति बनाना और लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है.

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सुप्री कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्री कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

भारत एक विशाल देश है. इसमें एक कोने से दसरे कोने तक भाषा से लेकर खान-पान तक सब बदल जाता है. ऐसे में पूर्वोत्तर भारत के लोग उत्तरी भारत के लोगों के सामने भेदभाव महसूस करते हैं. उनकी कई तरह की शिकायतें रहती हैं. इस भेदभाव से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई. 

लेकिन पूर्वोत्तर भारत के लोगों के साथ भेदभाव से निपटने के लिए कानून बनाने और देश के इस हिस्से के इतिहास, भूगोल की जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.

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पुलिस में कर सकते हैं शिकायत दर्ज

कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मसला है. नीति बनाना और लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है. हर बुराई या जरूरत के लिए कोर्ट का दखल जरूरी नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि जहां तक Youtube पर नस्लीय भेदभाव वाले वीडियो अपलोड करने का मसला है, इसके लिए पुलिस को शिकायत दे सकते हैं. पुलिस और संबंधित विभाग ही कार्रवाई करने में सक्षम हैं.

कानून बनाने की उठी मांग

बता दें कि पूर्वोत्तर भारत यानी असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम है. यह देश के सीमावर्ती राज्य हैं. इसलिए लोग इनका मजाक उड़ाते हैं. इसी से आहत लोगों ने इसपर कानून बनाने की मांग की थी. 

 

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