इंडिया में एक हैप्पी फैमिली की पहचान क्या होती है? कपल के बीच प्रेम, एक प्यारा घर, घर की रौनक बढ़ाने वाले बच्चे, अच्छा करियर.... या समाज की परिभाषा कुछ अलग है. हैप्पी फैमिली के लिए उनकी कुछ अलग शर्तें भी होती हैं.
जी हां, समाज के नजरिये में सबकुछ सामान्य दिखने की कई और छुपी हुई शर्तें होती हैं. इनमें से कपल का विपरीत लिंगी होना भी एक शर्त है. अगर दो एक ही जेंडर के व्यक्ति जैसे दो पुरुष या दो स्त्रियां भारतीय समाज में कपल बनकर रहने लगें तो समाज का नजरिया उन्हें थोड़ा अलग होता है. इसी एक सोच को बदलने की लड़ाई लड़ रहे इस जोड़े की कहानी भावुक करने वाली है. बीते एक दशक से सेम सेक्स मैरिज के मुद्दे को हर मंच से उठाने वाला यह कपल सुप्रीम कोर्ट में सुनी जा रही याचिका में एक याचिकाकर्ता हैं. आइए इस कपल की कहानी को जानते हैं.
रो पड़ता हूं कि बच्चे मेरे हैं पर मैं उनका पिता नहीं
36 साल के पार्थ मेहरोत्रा और 35 साल के उदय राज आनंद 17 साल से साथ निभा रहे हैं. aajtak.in से बातचीत में उदयराज आनंद ने बताया कि साल 2019 में हमने माता-पिता बनने का फैसला लिया. फिर साल 2020 में जब दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी. सरोगेसी के जरिए हम दो बच्चों के पिता बने. उदयराज कहते हैं कि हम उन्हें पाल रहे हैं.अब तो हम उन्हें पढ़ाते भी हैं, उन्हें खाना खिलाने से लेकर बिस्तर पर लिटाने तक कर जिम्मेदारी निभा रहे हैं. हम दोनों बहुत ही व्यावहारिक पिता हैं.
वहीं पार्थ मेहरोत्रा कहते हैं कि पिता बनने की प्रक्रिया में मुझे सबसे दुख इस बात का है कि इनके जन्म के दस्तावेजों में पिता में मेरा नाम नहीं है. मैं कई बार यह सोचकर रोता हूं. मेरे लिए यह सबसे अपमानजनक बात है. मैं सिर्फ इस फैक्ट के बारे में सोचकर आंसू बहाता हूं कि दिल से मैं इनका पिता हूं लेकिन कानूनी तौर पर हमारा कोई संबंध नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
बता दें कि पार्थ और उदयराज उन याचिकाकर्ता-जोड़ों में से एक हैं, जिन्होंने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उदयराज कहते हैं कि अगर 17 साल तक एक व्यक्ति से प्यार में होने के बावजूद शादी करने के पर्याप्त कारण नहीं हैं, तो कम से कम माता-पिता होने के कारण पर्याप्त होना चाहिए.
पब्लिशिंग इंडस्ट्री में काम करने वाले मेहरोत्रा की स्कूल के दिनों में उदयराज से मुलाकात हुई थी. तभी से वो दोनों गहरे दोस्त बन गए. वर्तमान में उदयराज एक व्यवसायी हैं. उस दौर में सबसे पहले उदयराज अपनी पहचान के साथ दोस्तों और शिक्षकों के सामने आ गए थे, जबकि पार्थ को इसमें समय लगा. पूरे एक दशक में दोनों ने कई उतार-चढ़ाव देखे. दोनों UK में पढ़ाई करने गए. इसके बाद लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप को बनाए रखा. बाद में दोस्ती प्यार में बदल गई और 2015 से यह जोड़ा दिल्ली में एक साथ रहने लगा.
हमने प्यार किया, अपने देश को चुना
इस जोड़े ने दूसरे देश में रहने के बजाय अपने देश को चुना. उनका तर्क है कि हमारे परिवार यहां हैं, इसलिए हम यहीं रहे. उदयराज कहते हैं कि यदि आप हमारे नामों में से एक को एक फीमेल पहचान से देखें तो यह बचपन की दोस्ती-प्यार और शादी फिर हैप्पी फैमिली की एक सामान्य कहानी है. ये बहुत खास नहीं है. लेकिन भारतीय परिवेश में और कानूनी दायरे में जहां एक पति-पत्नी को आपस में मिलने वाले मेडिकल बीमा समेत एडॉप्शन का हक आदि के लिए इसे सामान्य बनाना है.
हमें डिग्निटी और अपने हक चाहिए
एक मायने में सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज की याचिका का पूरा सार यही सोशल डिग्निटी और हमारे हक-अधिकार हैं. जब तक कानूनन समान लैंगिक संबंधों को परिवार बसाने की मान्यता नहीं मिलेगी, समाज इसे लेकर संवेदनशील नहीं होगा. न ही सिस्टम से हमें वो सुविधाएं मिलेंगी जो एक पति-पत्नी को मिलती हैं. हमें पता है कि हर उस देश में जहां सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली है, वहां भी पहले कभी ऐसे ही हालात रहे हैं. जब कानूनी तौर पर हमें यह अधिकार मिल जाएगा तो इस पहचान को हम आगे बढ़ा सकते हैं. मैंने शादी की, प्रेम किया, हमारे दो बच्चे हैं हम समाज के सभी मानकों में हैप्पी फैमिली हैं लेकिन एक सामाजिक नजरिये में कहीं न कहीं हमारी पहचान गे कपल है. हमें इसे ही बदलना है.
मानसी मिश्रा