समाजवादी पार्टी को पीलीभीत जिला परिषद कार्यालय से बेदखली के मामले में सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका है. कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पीलीभीत ज़िला कार्यालय से नगर पालिका परिषद द्वारा बेदखल किए जाने को चुनौती दी गई है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने पूछा कि आपने यह परिसर कैसे हासिल किया था?
सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि देश की जनता को व्यवस्था पर विश्वास होना चाहिए. अगर आपने राजनीतिक ताकत का इस तरह दुरुपयोग किया है, तो भरोसा कैसे होगा?
इससे पहले पिछली सुनवाई में कोर्ट ने समाजवादी पार्टी द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता समाजवादी पार्टी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी थी.
पार्टी ने क्या दलील रखी?
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने समाजवादी पार्टी की पैरवी करते हुए कहा कि पीलीभीत नगर पालिका अधिकारियों ने वो परिसर दिया था. वे इस तरह मेरे परिसर पर ताले नहीं लगा सकते.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि फिलहाल आप अनधिकृत कब्जाधारी हैं. पट्टा रद्द कर दिया गया है, जब आप राजनीतिक ताकत का दुरुपयोग करते हैं, तब प्रक्रिया की याद नहीं रहती.
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आदेश में बेंच ने कहा, "हमें बताया गया है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष सिविल मुकदमा लंबित है, लिहाजा अभी हम इस पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट के समक्ष अंतरिम राहत के लिए जा सकता है. उनकी याचना पर विधि और नियमों के अनुसार विचार किया जाएगा."
जस्टिस सूर्यकांत ने आखिर में समाजवादी पार्टी से कहा कि कृपया यह मत कहिए कि कोर्ट हड़ताल पर था. वकील हड़ताल पर थे. हड़ताल के दौरान भी हमने बहुत सख्त आदेश पारित किया था.
संजय शर्मा