ग्रेटर नोएडा के सेक्टर बीटा 1 का मकान नंबर A 381. पड़ोसी भी नहीं जानते थे कि यहां कौन रहता था. घर का ढांचा वैसा ही था, जैसा किसी आलीशान मकान का होता है, लेकिन बाहर खड़ी बड़ी बड़ी झाड़ियां, कचरा और बदहाली ऐसा जताते थे कि जैसे बरसों से इसमें कोई आया ही न हो. लाइट भी कभी जलती नहीं दिखी, जिससे यहां किसी के जिंदा होने का कोई निशान नजर आता, आता भी कैसे.... उनकी तो 20 दिन पहले ही मौत हो चुकी थी.
और, जब उनकी मौत हो गईं तो टूटे दरवाजों से बाहर निकली सड़ांध ने सारे शहर को ये बता दिया कि एक डॉक्टर, जिसने न जाने कितनों का इलाज कर उन्हें जिंदगी दी होगी, वह अपने बुढ़ापे में, अकेले घर में 20 रोज पहले यूं ही मर गईं और किसी को कानों कान खबर भी नहीं हुई. इन किसी में शामिल हैं, उसका अपना बेटा बहू और तलाक शुदा पति. अथाह संपत्ति और रुपये पैसे भी धरे रह गए और लाश में बदल चुकी सेवानिवृत्त डॉक्टर के सड़ते बदन पर कीड़ों ने बसेरा बना लिया था.
अकबर हैदराबादी के भी जेहन में न जाने क्या आया कि उन्होंने जिंदगी के कागज पर मौत का तीखा सच उतार दिया था. इसका जवाब ग्रेनो के इस सेक्टर में बहुत करीने से मिलता है.
"सायों से भी डर जाते हैं कैसे कैसे लोग,
जीते जी ही मर जाते हैं कैसे कैसे लोग
छोड़ के माल ओ दौलत सारी दुनिया में अपनी,
ख़ाली हाथ गुज़र जाते हैं कैसे कैसे लोग."
रविवार को सामने आई मौत की जानकारी
ग्रेटर नोएडा बीटा 1 में रिटायर्ड डॉक्टर अमिया कुमारी सिन्हा (70) का शव उनके ही मकान से सड़ी गली अवस्था में पाया गया. सामने आया है कि मृतका का बेटा गाजियाबाद में पत्नी के साथ रहता है, लेकिन चार माह से उनकी बेटे बहू से बात नहीं हुई थी. मृतका के पति बिहार में रहते हैं, जिनसे वह पहले ही अलग हो चुकी थीं.
फोन नहीं लगने पर रविवार को बेटा बहू बीटा 1 स्थित घर पहुंचे थे. इस दौरान वह दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए तो उन्हें मां की मौत की जानकारी मिली. घर में शव देखने के बाद दंपती ने पुलिस को सूचना दी थी.
बेटे से नहीं हो रही थी बात
जानकारी पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मुआयना किया और बताया कि शव लगभग 20 दिन पुराना है. यानी इतने ही दिन पहले वृद्धा का मौत हो चुकी थी. फोरेंसिक टीम ने भी घर में जांच की है. बीटा 2 थाना पुलिस की ओर से बताया गया कि अमिया कुमारी सिन्हा बिहार के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थीं. संपत्ति विवाद के कारण उनकी अपने बेटे प्रणव से भी बात नहीं हो रही थी. बेटा प्रणव रंजन सिन्हा गाजियाबाद के वैशाली में रहते हैं और दोनों ही नौकरी करते हैं. प्रणव ने पुलिस को बताया कि वह कई दिनों से मां के मोबाइल पर कॉल कर रहा थे, लेकिन फोन नहीं उठ रहा था. कई बार कॉल की तो फोन नहीं उठा था.
पड़ोसियों को भी नहीं हुआ अंदाजा
उसने बताया कि मां अकसर नाराज होकर फोन नहीं उठाती थीं. मगर कई दिनों से बात न होने पर वह पत्नी के साथ बीटा 1 स्थित मां के घर पहुंचे. दरवाजा खटखटाने पर नहीं खुला तो वह ग्राउंड फ्लोर का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए, देखा तो अंदर मां का शव पड़ा हुआ था. प्रणव ने इसकी सूचना यूपी 112 पर कॉल कर दी. पुलिस ने अमिया का मोबाइल बरामद कर लिया है. पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि महिला का फोन कब से स्विच ऑफ था और उसकी आखिरी बार किससे बात हुई थी. उनका शव फर्श पर पड़ा था, आशंका जताई जा रही है कि बेड से गिरने के बाद मौत हुई होगी. कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही महिला की मौत का कारण स्पष्ट होगा.
इधर, महिला का शव घर में सड़ता रहा, लेकिन पड़ोसियों को भी इसकी भनक नहीं लगी थी. घर की स्थिति बदहाल हो चली थी और कहीं से भी नहीं लग रहा था कि यहां कोई रहता हो. यहां तक कि घर की बिजली भी कटी हुई थी. बाहर झाड़ियां झंखाड़ बड़े बड़े हो गए थे. मामले की जांच के लिए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है.
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