इन देशों में पहले से है रिमोट वोटिंग सुविधा, भारत में 45 करोड़ लोगों को हो सकता है फायदा

भारत में रिमोट वोटिंग को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. चुनाव आयोग के रिमोट वोटिंग मशीन के प्रस्ताव का राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रहीं हैं. रिमोट वोटिंग मशीन का इस्तेमाल होने से दूसरे शहरों या राज्यों में रह रहे प्रवासी भी वोट कर सकेंगे. ऐसे में जानना जरूरी है कि वोटिंग को लेकर भारत में क्या कानून है? दुनिया के किन-किन देशों में ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा है?

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रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए प्रवासी जहां हैं, वहीं से वोट दे सकेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर) रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए प्रवासी जहां हैं, वहीं से वोट दे सकेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

अपना घर छोड़कर दूसरे शहर या राज्यों में रह रहे प्रवासी भी चुनाव में वोट डाल सकें, इसके लिए चुनाव आयोग रिमोट वोटिंग मशीन (Remote Voting Machine) पर काम कर रहा है. रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए प्रवासियों को वोट डालने के लिए अपने घर लौटने की जरूरत नहीं होगी. 

हालांकि, राजनीतिक पार्टियां इसका विरोध कर रहीं हैं. सोमवार को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के सामने रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) का प्रोटोटाइप भी दिखाया. इस मीटिंग के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि कोई भी पार्टी रिमोट वोटिंग मशीन का डेमो नहीं देखना चाहती. पहले ऐसी मशीन की जरूरत का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए.

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आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी रिमोट वोटिंग मशीन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के और दूसरे तरीके भी हैं. 

ऐसे में जानना जरूरी है कि रिमोट वोटिंग क्या होती है? भारत में वोट देने को लेकर कानून क्या कहता है? दुनिया के और कौन-कौन से देशों में रिमोट वोटिंग का इस्तेमाल हो रहा है.

क्या है रिमोट वोटिंग?

- सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) की मदद से चुनाव आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन का प्रोटोटाइप तैयार किया है. 

- चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर बताया था कि अभी जो मौजूदा EVM इस्तेमाल होती है, रिमोट वोटिंग मशीन भी वैसी ही होगी. सरल शब्दों में कहा जाए तो RVM, EVM का ही अपडेटेड वर्जन है.

- रिमोट वोटिंग मशीन में रिमोट कंट्रोल यूनिट (RCU), रिमोट बैलेट यूनिट (RBU), रिमोट वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (RVVPAT), कार्ड रीडर (CCR), पब्लिक डिस्प्ले कंट्रोल यूनिट (PDCU), रिमोट सिंबल लोडिंग यूनिट (RSLU) जैसे कंपोनेंट हैं.

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- रिमोट वोटिंग मशीन का प्रस्ताव अगर पास होता है और चुनावों में इसका इस्तेमाल होता है, तो दूसरे शहरों या राज्यों में रह रहे प्रवासी उसी जगह से वोट डाल सकेंगे. 

वोटिंग को लेकर क्या है कानून?

- भारत का कोई भी नागरिक कहीं का भी वोटर बन सकता है. अगर आप दूसरे राज्य में जाते हैं तो वहां के वोटर बन सकते हैं. इसके लिए आपको नई विधानसभा की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाना होगा और पुरानी विधानसभा से नाम कटवाना होगा. 

लेकिन यहां दिक्कत ये है कि आपको बिजली बिल, एड्रेस प्रूफ जैसे दस्तावेज लगाने पड़ते हैं. चूंकि ज्यादातर प्रवासियों के पास ऐसे दस्तावेज नहीं होते, इसलिए वो अपना नाम जहां रह रहे हैं, वहां की वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं करवा पाते. 

- इसके अलावा पीपुल्स ऑप रिप्रेजेंटेशन एक्ट, 1951 की धारा 20A कहती है कि वोट देने के लिए व्यक्ति को पोलिंग स्टेशन ही जाना होगा. मतलब ये कि पोलिंग स्टेशन पर जाकर ही आप वोट डाल सकते हैं. लेकिन अगर आप सर्विस वोटर हैं, तो आपको इससे छूट है. 

- सर्विस वोटर यानी चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी, सेना के जवान या विदेशों में काम करने वाले सरकारी अधिकारी हैं तो आप इलेक्ट्रॉनिकली या पोस्ट के जरिए वोट दे सकते हैं.

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पर इसकी जरूरत क्यों?

- 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 45 करोड़ से ज्यादा लोग प्रवासी थे. ये वो लोग थे जिन्होंने अलग-अलग कारणों की वजह से अपना घर छोड़ दिया था. इन प्रवासियों में आधी से ज्यादा महिलाएं थीं, जो शादी के बाद दूसरे शहर या राज्य में बस गई थीं. वहीं, ज्यादातर पुरुष ऐसे थे जिन्होंने रोजगार के लिए अपना घर छोड़ दिया था. अगर रिमोट वोटिंग लागू होता है तो इन लोगों को इसका लाभ मिल सकता है.

- अभी 2023 चल रहा है और जाहिर है कि ये आंकड़ा और बढ़ा होगा. क्योंकि 2001 में जहां 31.45 करोड़ लोग ऐसे थे जिन्होंने देश के अंदर पलायन किया था, वहीं 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 45.36 करोड़ के पार चली गई थी.

- 2011 में पांच एनजीओ ने प्रवासी वोटर्स पर एक स्टडी की थी, जिसमें सामने आया था कि 60% लोग ऐसे थे जो वोट डालने के लिए अपने घर नहीं लौटे, क्योंकि उनके लिए घर लौटकर आना काफी महंगा था. भारत में दूसरे राज्यों में रह रहे ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो गरीब हैं और ऑटो-रिक्शा चलाकर या छोटे-मोटे काम करके अपना गुजर-बसर करते हैं. ऐसे में उनके लिए वोट डालने के लिए घर लौटना काफी महंगा पड़ जाता है. 

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- 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.4 फीसदी वोटिंग ही हुई थी. चुनाव आयोग के मुताबिक, 30 करोड़ से ज्यादा वोटर्स ऐसे थे जिन्होंने वोट नहीं दिया था. और इसकी सबसे बड़ी वजह प्रवासी ही थे. 

दुनिया के किन-किन देशों में है रिमोट वोटिंग?

- एस्टोनियाः 2001 में यहां ई-वोटिंग शुरू हो गई थी. 2003 के आम चुनाव में पहली बार ई-वोटिंग का इस्तेमाल हुआ. यहां के सिस्टम में हर नागरिक का एक स्मार्ट कार्ड और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर होता है. मार्च 2007 में एस्टोनिया में बड़े पैमाने पर ई-वोटिंग का इस्तेमाल हुआ, इसलिए इसे दुनिया का पहला इंटरनेट इलेक्शन भी कहा जाता है. उस चुनाव में साढ़े तीन फीसदी नागरिकों ने विदेश में बैठे-बैठे ई-वोटिंग से वोट दिया था.

- फ्रांसः जून 2003 में फ्रांसिसी सरकार ने अमेरिका में रह रहे अपने नागरिकों को ई-वोटिंग के जरिए वोट करने की सुविधा दी. हालांकि, उन्हें काउंसिल ऑफ फ्रेंच सिटीजंस अब्रॉड में ई-वोटिंग से वोट डालने की सुविधा मिली थी. उसी साल इंटरनेट राइट्स पर काम करने वाली संस्था ने फ्रांस सरकार को ई-वोटिंग न शुरू करने की सलाह दी थी. बाद में जून 2006 में सरकार ने विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों को तीन तरीकों से वोट डालने की सुविधा दी, जिसमें ई-वोटिंग भी शामिल थी. विदेशों में रह रहे आधे से ज्यादा फ्रांसिसी नागरिक ऑनलाइन वोट ही देते हैं.

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- नीदरलैंड्सः यहां के कई शहरों में पोलिंग स्टेशन पर ई-वोटिंग की सुविधा मिलती है. विदेशों में रह रहे नागरिकों को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और यूरोपियन संसद में वोट देने का अधिकार है. ये लोग ई-वोटिंग या टेलीफोन से भी वोट दे सकते हैं. नवंबर 2006 में विदेशों में रह रहे नीदरलैंड्स के नागरिकों को पोस्टल बैलेट के विकल्प के रूप में ई-वोटिंग की सुविधा दी गई.

- अमेरिकाः यहां के कुछ राज्यों में भी ई-वोटिंग की सुविधा है. विदेशों में रह रहे अमेरिकी नागरिक ईमेल, फैक्स या इंटरनेट के जरिए वोट डाल सकते हैं. अमेरिका में ऐसे लोगों को भी ई-वोटिंग से वोट डालने का अधिकार हैं, जो अमेरिकी नागरिक हैं लेकिन उनका जन्म विदेश में हुआ है और कभी अमेरिका में भी नहीं रहे.

इन देशों में भी है सुविधा

दुनिया के और भी कई देश ऐसे हैं जो विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों को ई-वोटिंग की सुविधा देते हैं. इनमें पनामा और पाकिस्तान जैसे देश भी शामिल हैं. 

ऑस्ट्रेलिया के भी कुछ राज्यों में दिव्यांगों, नेत्रहीनों और कम पढ़े-लिखे लोगों को ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा मिलती है. न्यू साउथ वेल्स ने भी 2011 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ऑनलाइन वोटिंग शुरू की थी.

स्विट्जरलैंड उन देशों में है जो विदेश में रह रहे अपने नागरिकों के साथ-साथ देश में ही बसे नागरिकों को भी ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा देता है. हालांकि, ऑनलाइन वोटिंग के लिए कुछ शर्तें भी हैं. कनाडा में ओंटारियो और नोवा स्कोटिया के स्थानीय चुनाव में इंटरनेट वोटिंग होती है. 

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विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिक कैसे वोट देते हैं?

भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है. लेकिन विदेशों में रहने वाले NRIs या दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी वोट नहीं दे पाते हैं, क्योंकि वोट देने के लिए उन्हें पोलिंग बूथ पर मौजूद रहना होगा. 

चुनाव आयोग के मुताबिक, NRIs भी अपना वोटर आईडी कार्ड बनवा सकते हैं और वोट दे सकते हैं, लेकिन उन्हें वोट देने के लिए भारत आना होगा. चुनाव आयोग ई-पोस्टल बैलेट या रिमोट वोटिंग पर काम कर रहा है.

 

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