पंजाब में धान की धीमी खरीद और उठान से किसान परेशान, नहीं निकल रहा समाधान

पंजाब में धान की खरीद और उठान की धीमी रफ्तार से किसान परेशान हैं. राज्य और केंद्र सरकारें एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, जबकि किसान अपनी फसल के उठान का इंतजार कर रहे हैं और विरोध प्रदर्शन की तैयारी में हैं.

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फाइल फोटो. फाइल फोटो.

असीम बस्सी

  • चंडीगढ़,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

पंजाब के हर अनाज मंडी में इन दिनों धान के बड़े-बड़े ढेर देखे जा सकते हैं. रोपड़ मंडी की हालत भी इससे अलग नहीं है. कारण है मंडी से धान की धीमी उठान और खरीद की सुस्त रफ्तार. पंजाब में धान की खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है, लेकिन तीन हफ्ते बीत जाने के बाद भी धान की उठान और खरीद की प्रक्रिया में काफी दिक्कतें आ रही हैं. 

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इस वजह से किसानों में गहरी चिंता है. त्योहारी सीजन के बावजूद उन्हें मंडियों में अपनी फसल के उठान का इंतजार करना पड़ रहा है. इंडिया टुडे टीम ने जब रोपड़ मंडी का दौरा किया तो वहां किसानों की फसल धान के बड़े ढेरों में पड़ी थी और किसान परेशान नजर आए.

सभी किसान लंबे इंतजार से परेशान हैं. किसान स्वर्ण सिंह ने बताया, 'मैं पिछले दस दिनों से अपनी फसल की खरीद का इंतजार कर रहा हूं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. यह त्योहार का समय है और सरकार को हस्तक्षेप कर इस प्रक्रिया को तेज करना चाहिए. मंडियों से उठान भी ठीक से नहीं हो रहा है.'

पंजाब सरकार का कहना है कि इस समस्या की वजह केंद्र सरकार है. पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने आरोप लगाते हुए कहा, 'केंद्र सरकार ने एफसीआई गोदामों को खाली नहीं किया है जहां फसल को रखा जाना है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से भी मुलाकात की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.'

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चीमा का आरोप है कि केंद्र सरकार जानबूझकर गोदाम उपलब्ध नहीं करा रही है, जिससे किसानों को आंदोलन के लिए सजा देने का इरादा दिखता है. दूसरी ओर भाजपा नेता हरजीत गरेवाल ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि असल समस्या पंजाब सरकार की असफलता है और अब वह केंद्र सरकार पर गलत आरोप लगा रही है.

इस बार पंजाब में ज्यादातर किसानों ने धान की PR 126 किस्म लगाई है. राइस मिलर्स का कहना है कि इस किस्म में चावल टूटने का डर ज्यादा है, इसलिए वे इसे खरीदने में हिचकिचा रहे हैं. राज्य सरकार का दावा है कि फसल की खरीद हो रही है और किसानों को भुगतान भी किया जा रहा है, लेकिन उठान की समस्या को सुलझाने में केंद्र सहयोग नहीं कर रहा है.

आढ़ती हरविंदर सिंह ने बताया, 'हम किसानों के साथ इस बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं. फसल मंडियों में पड़ी है. पंजाब सरकार और केंद्र सरकार को मिलकर इस स्थिति का समाधान निकालना चाहिए. राइस मिलर्स का कहना है कि पीआर 126 किस्म में ज्यादा टूटन है, जिससे वे अनिच्छुक हैं. सरकार को जगह की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि फसल की उठान हो सके और किसानों की समस्या का तुरंत समाधान हो.'

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इस बार पंजाब में करीब 185 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होने का अनुमान है. जिस तरह से समस्याएं बढ़ रही हैं आने वाले दिनों में मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

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