भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वपन दासगुप्ता को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक बार फिर राज्यसभा सांसद मनोनीत किया है. यह सीट, उन्हीं के इस्तीफे से रिक्त हुई थी, जिस पर राष्ट्रपति ने एक बार फिर, उन्हें ही मनोनीत किया है. वे 24 अप्रैल 2022 तक इस सीट से राज्य सभा सांसद बने रहेंगे.
जब स्वपन दासगुप्ता को बीजेपी ने चुनाव लड़ाने का फैसला लिया, तो उनके राजनीतिक पार्टी में शामिल होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. दरअसल टीएमसी का कहना था कि राज्यसभा के मनोनीत सांसद नियम के मुताबिक किसी भी पार्टी के सदस्य नहीं हो सकते हैं. जब उनकी राज्यसभा सदस्यता पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने अपना इस्तीफा सभापति एम. वैंकेया नायडू को भेज दिया, जिसे मंजूरी मिल गई थी.
दरअसल स्वपन दास गुप्ता ने बंगाल के चुनावी समर में तारकेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, उन्हें चुनाव में हार मिली थी. तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रामेंदु सिंहराय ने उन्हें चुनाव में मात दी थी. चुनाव में मिली हार के बाद अब राष्ट्रपति ने एक बार फिर उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत कर दिया है. अब वे अपना बचा हुआ कार्यकाल पूरा करेंगे.
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क्यों देना पड़ा था इस्तीफा?
तृणमूल कांग्रेस ने संविधान की 10वीं अनुसूची का हवाला दिया था और कहा था कि अगर कोई मनोनीत राज्यसभा सांसद शपथ लेने के 6 महीने बाद किसी पार्टी में शामलि होता है तो उसे राज्यसभा के लिए अयोग्य घोषित किया जाए.
पेशे से पत्रकार हैं स्वपनदास गुप्ता!
स्वपन दासगुप्ता साल 2016 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत हुए थे. उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. ऑक्सफोर्ड के नफिल्ड कॉलेज में वे जूनियर रिसर्स फेले भी रह चुके हैं. देश के दिग्गज पत्रकारों में भी उनकी गितनी होती है.
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पॉलोमी साहा