राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए आपातकाल मुद्दे पर अपनी राय रखी. राष्ट्रपति ने कहा, "लोकतंत्र को कलंकित करने की हर कोशिश की सभी को निंदा करनी चाहिए." उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 1975 में तत्कालीन सरकार के इस कदम से पूरे देश में हाहाकार मच गया था. देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए. आज 27 जून है. 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था.
'आज अघोषित आपातकाल लागू...'
राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र आने के बाद विपक्षी दलों के कई नेताओं ने बयान दिया है. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनकी स्पीच में इसका कोई जिक्र नहीं है कि चुनाव किस तरह से कराए गए. प्रधानमंत्री को कोई पछतावा नहीं है. आज जो अघोषित आपातकाल लागू है, उसका क्या? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में बोलना चाहिए. चुनाव नतीजों से पता चलता है कि लोगों का सरकार पर से भरोसा उठ गया है.
'10 साल से भी देश में इमरजेंसी...'
समाजवादी पार्टी प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी वाले जो लोग इमरजेंसी में रहे उनको हमने सम्मान दिया था लेकिन ये सरकार क्या उन लोगों को सम्मान दे रही है?
शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि 50 साल के बाद भी इमरजेंसी की बात करते है क्योंकि कोई और मुद्दा नहीं है. पिछले 10 साल से भी देश में इमरजेंसी है, उस पर क्या कहेंगे?
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कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति भी भी एक महिला हैं, मजबूर हो गईं. कहते हैं कि सरकार महिलाओं के पक्ष में है लेकिन राष्ट्रपति को भी मजबूर कर दिया. राष्ट्रपति क्या करेंगी, जो उनको लिखकर दिया, उन्होंने वो पढ़ दिया.
कांग्रेस लीडर केसी वेणुगोपाल ने आपातकाल पर स्पीकर की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने स्पीकर को पत्र लिखकर आपातकाल की टिप्पणी को 'संसदीय परंपराओं का मजाक' बताया.
वहीं, बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी संविधान हाथ में रखते हैं लेकिन उनके मन में तानाशाही है. कांग्रेस ने हमेशा संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं.
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