'धर्म के आधार पर मुझे नौकरी से निकाला', गूगल के पूर्व कर्मचारी की याचिका SC में खारिज

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'यह एक निजी विवाद है. आपको कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए. मामला लेबर कोर्ट में है. अगर वहां से कुछ हासिल नहीं होता है तो आपको उस ऑर्डर को चुनौती देनी होगी. जब मामला कोर्ट में है तो प्रधानमंत्री कार्यालय कुछ नहीं कर सकता.'

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गूगल के पूर्व कर्मचारी जाहिद शौकत उर्फ ​​मीर की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. जाहिद ने प्रधानमंत्री कार्यालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के समक्ष गूगल के खिलाफ शिकायत की है. उनका आरोप है कि गूगल के लोगों ने उन्हें धर्म के आधार पर कंपनी से निकाल दिया.

सुनवाई की शुरुआत में, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'यह एक निजी विवाद है. आपको कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए. मामला लेबर कोर्ट में है. अगर वहां से कुछ हासिल नहीं होता है तो आपको उस ऑर्डर को चुनौती देनी होगी. जब मामला कोर्ट में है तो प्रधानमंत्री कार्यालय कुछ नहीं कर सकता.'

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सीजेआई ने हस्तक्षेप करने से किया इनकार

याचिकाकर्ता जाहिद ने बेंच से कहा, 'मेरे धर्म के कारण मेरे साथ भेदभाव किया जा रहा है.' इस पर सीजेआई ने कहा, 'लेकिन यह बर्खास्तगी नौकरी से है. आपको ऑर्डर को चुनौती देनी होगी. एक कार्यकारी अधिकारी कुछ नहीं कर सकता.'

जाहिद ने जवाब दिया कि, 'मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखा है और लेबर कोर्ट ने केस बंद कर दिया है.' सीजेआई ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

'निजी कंपनी को निर्देश नहीं दे सकती सरकार'
 
सीजेआई ने कहा, 'कार्यकारी अधिकारी के पास आपको बहाल करने का कोई अधिकार नहीं है. यह आपके और आपकी कंपनी के बीच एक निजी मामला है. सरकार किसी निजी कंपनी को आपको बहाल करने का निर्देश नहीं दे सकती है.'

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उन्होंने कहा, 'अगर यह बर्खास्तगी सरकार की ओर से होती तो हम अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकते थे. सरकार स्वतंत्र रूप से हमारे अधिकार क्षेत्र के प्रति उत्तरदायी है, लेकिन एक निजी कंपनी नहीं है. आपको इंडस्ट्रियल लॉ के तहत आगे बढ़ना होगा.'

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