महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन, कभी एयर फोर्स में रहे विंग कमांडर

पूर्व वायुसेना विंग कमांडर और आध्यात्मिक गुरु 'पायलट बाबा' का आज मुंबई में निधन हो गया. वह 86 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने अपना जीवन अध्यात्म को समर्पित करने से पहले पाकिस्तान के खिलाफ दो युद्धों में बहादुरी से देश की सेवा की.

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पायलट बाबा का 86 वर्ष की उम्र में निधन (फाइल फोटो) पायलट बाबा का 86 वर्ष की उम्र में निधन (फाइल फोटो)

मनोज कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

देश के मशहूर संत और पंच दशनम जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर 'पायलट बाबा' का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उन्हें महायोगी कपिल सिंह के नाम से भी जाना जाता है. वह एक चर्चित भारतीय आध्यात्म गुरु और भारतीय वायु सेना में पूर्व विंग कमांडर थे. वह लंबे समय से बीमार थे. पायलट बाबा आध्यात्म अपनाने से पहले 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का हिस्सा भी रहे.

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1957 में एक लड़ाकू पायलट के रूप में कमीशन हासिल करने वाले कपिल सिंह ने कई मिशन उड़ाए और भारतीय वायु सेना में एक प्रमुख ओहदा हासिल किया था. सैन्य कैरियर को महत्वपूर्ण लड़ाइयों के दौरान उनकी वीरता के लिए उन्हें जाना जाता है, जिन्होंने भारत की अहम जीत में योगदान दिया. आध्यात्म अपनाने के पीछे वह अपने गुरू बाबा हरि को मानते हैं, जिन्होंने एक घटना के दौरान उनके विमान के कॉकपिट में प्रकट होकर लैंडिंग में उनकी मदद की थी.

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जब पायलट बाबा अपने गुरू से मिले!

1962 के युद्ध के दौरान वह दुर्घटना का शिकार हो गए थे और वह एक मिग फाइटर जेट उड़ाते थे. अपनी कहानी में वह दावा करते थे, कि जब एक बार उन्होंने अपने मिग विमान पर नियंत्रण खो दिया, तभी उनके मार्गदर्शक हरि बाबा उनके कॉकपिट में प्रकट हुए और उन्हें सुरक्षित लैंडिंग में मदद की थी.

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जूना अखाड़ा से मिली जानकारी के मुताबिक, विंग कमांडर कपिल सिंह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए थे और अपनी संन्यास यात्रा शुरू की. जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरी ने बताया कि जूना अखाड़े ने 3 दिन के शोक की घोषणा की है, जिसमें देश-विदेश के सभी आश्रमों में शांति पाठ किया जाएगा.

रिटायरमेंट के बाद अपनाया आध्यात्म का रास्ता

33 साल की उम्र में वायुसेना से रिटायर होने के बाद, पायलट बाबा ने आध्यात्मिक मार्ग अपनाया और अपना जीवन आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया. उनके अनुयायी उन्हें पायलट बाबा के नाम से पुकारने लगे. उन्होंने भारत और विदेशों में कई आश्रम और आध्यात्मिक केंद्र स्थापित किए.

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पायलट बाबा के महासमाधि का किया गया ऐलान

पायलट बाबा को समाधि सहित अपनी अनूठी प्रथाओं के लिए जाना जाता था, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में 110 से ज्यादा बार समाधि की. उनके निधन के बाद, उनके अनुयायियों में शोक की लहर है, जो उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में होने वाला है. उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से उनकी महासमाधि की घोषणा की गई है.

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