1971 में बांग्लादेशी बहनों के कपड़े उतारना पाक सेना का अधर्म था: भारतीय सेना अधिकारी

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने 1971 के युद्ध को ‘धर्मयुद्ध’ बताते हुए कहा कि पाकिस्तान के अत्याचार होलोकॉस्ट से भी बदतर थे, इसलिए भारत को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने युद्ध में मानवीय मूल्यों, कैदियों के सम्मानजनक व्यवहार और इतिहास से सीखने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने पाकिस्तान के साथ हुई जंग पर बात की. (Photo: ITG) लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने पाकिस्तान के साथ हुई जंग पर बात की. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:09 AM IST

भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए 1971 की जंग को याद किया. उन्होंने 1971 के युद्ध के दौरान इस्लामाबाद द्वारा किए गए अत्याचारों को 'होलोकॉस्ट से भी बदतर' बताया और कई बातें शेयर कीं. मनोज कुमार कटियार ने कहा, "क्या भारत हज़ारों-हज़ारों बांग्लादेशी बहनों को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा निर्वस्त्र किए जाते हुए चुपचाप देखता रह सकता था? हमें दखल देना ही था." 

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धर्मयुद्ध और जिहाद से भरे आधुनिक इतिहास में, वेस्टर्न कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने हमेशा धर्मयुद्ध लड़ा है, एक ऐसी अवधारणा जिसे उन्होंने 'हमारी सभ्यता' जितनी ही पुरानी बताया.

धर्मयुद्ध के कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ाते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने 1948 से भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सभी जंगों को याद किया और बताया कि भारत ने सही तरीके से सही मकसद के लिए लड़ाई लड़ी और कश्मीरी लोगों को बचाया, जिन पर रेप, हत्या और लूट हो रही थी.

'पाकिस्तानी सैनिक ही अधर्मी थे...'

लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने बताया कि 1948 में हमलावरों के रूप में आए पाकिस्तानी सैनिक ही अधर्मी थे. हालांकि, वह 1971 के युद्ध को 'धर्मयुद्ध का एक सही उदाहरण' बताते हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने इंडिया टुडे टीवी से कहा, "बांग्लादेश में जो हो रहा था, उसे हम भूल गए लगते हैं. हजारों-हजार बांग्लादेशियों को मार दिया गया था." इसे नरसंहार और होलोकॉस्ट से भी बुरा बताते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने सवाल किया, "दुनिया चुपचाप देख रही थी. कोई इस पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. क्या हम अपने पड़ोस में ऐसी बर्बर घटनाओं पर चुप रह सकते थे?"

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उन्होंने आगे कहा, "अगर आप अपराध के सामने, बुराई के सामने चुप रहते हैं, तो आपकी अंतरात्मा को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है."

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'1971 की जंग एक सही मकसद से हुई...'

लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा, "1971 में, हमने 93 हजार कैदियों को पकड़ा था. हमने सही तरीके से लड़ाई लड़ी और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया. हमने नियमों और कानूनों के मुताबिक सभी सुविधाएं दीं. शिमला समझौता सबसे उदार शांति समझौता है. यह सब शांति की तलाश में किया गया था." उन्होंने आगे कहा, "1971 की जंग एक सही मकसद से शुरू हुई और सही तरीके से खत्म हुई."

अब जब बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ नज़दीकियां बढ़ा रहा है, तो इस पर लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा कि देश मुश्किल दौर से गुज़र रहा है और बांग्लादेशी सेना के 'सही काम' करने पर भरोसा जताया. हालांकि, लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने चेतावनी देते हुए कहा, "अगर हम इतिहास से नहीं सीखते हैं, तो वह हमें सबक सिखाता है- अक्सर बहुत, बहुत बड़ी कीमत पर."

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लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने माना कि पाकिस्तान के साथ कई धर्मयुद्ध लड़ने के बावजूद, उनकी सेना ने अभी तक सबक नहीं सीखा है, क्योंकि यह देश की राजनीति में गहराई से शामिल है और अक्सर अपने हितों और आर्थिक विचारों से चलती है.

पाकिस्तान सेना के 'अधर्म' का एक और उदाहरण देते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान, पाकिस्तान सेना ने अपने ही सैनिकों को अपनाने से इनकार कर दिया और उनके शवों को स्वीकार करने से मना कर दिया.

उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि अपने ही मरे हुए लोगों को धोखा देने से बुरा कुछ नहीं हो सकता. हमने उन्हें दफनाया. हमने उन्हें पूरा सम्मान दिया. हमने उन्हें धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक दफनाया. आप दोनों सेनाओं के बीच अंतर देख सकते हैं- गिरे हुए सैनिकों के शवों को स्वीकार न करने का अधर्म और भारतीय सेना ने जिस धर्म को बनाए रखा है, उसके बीच का अंतर बड़ा है."

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