नोएडा, यमुना नगर, सीहोर... ऑपरेशन सरकार-II में नदियों का सीना चीरकर अवैध खनन करने वाले बेनकाब

ऑपरेशन सरकार-II के तहत आजतक की अंडरकवर जांच में उत्तर प्रदेश के नोएडा से लेकर हरियाणा और मध्यप्रदेश तक नदियों में चल रहे अवैध खनन के बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ है. यमुना और नर्मदा नदियों में पट्टे की आड़ में नियमों को ताक पर रखकर जेसीबी, पोकलेन और भारी मशीनों से दिन-रात खनन किया जा रहा है, नदी की धारा मोड़ी जा रही है और डंपरों के लिए रास्ते बनाए गए हैं.

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यमुना और नर्मदा नदियों में जेसीबी और पोकलेन मशीनों से अवैध खनन चल रहा है. (Photo: ITG) यमुना और नर्मदा नदियों में जेसीबी और पोकलेन मशीनों से अवैध खनन चल रहा है. (Photo: ITG)

भूपेन्द्र चौधरी / कमलजीत संधू / रवीश पाल सिंह

  • नोएडा/चंडीगढ़/भोपाल,
  • 30 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST

ऑपरेशन सरकार-II के तहत उत्तर प्रदेश के नोएडा में अवैध खनन के सिंडिकेट का पर्दाफाश करने के लिए आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर नोएडा के रायपुर इलाके में पहुंचे. जिला प्रशासन का दावा यही है कि नोएडा में अवैध खनन नाम की कोई चीज नही हैं. नोएडा में खनन माफियाओं पर चुन-चुन कर शिंकजा कसा जा चुका हैं यानी नोएडा खनन माफियाओं से मुक्त है. लेकिन आजतक के खुफिया कैमरे में जिला प्रशासन के दावों की कलई खुल गई. आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में खनन माफिया से लेकर अवैध खनन को संरक्षण देने वाले सरकारी मुलाजिम की सच्चाई कैद हो गई. 

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यमुना नदी के बीचों-बीच पट्टे की आड़ में जेसीबी और भारी मशीनों से अवैध खनन का खेल जारी है. अवैध खनन के लिए यमुना की धारा को मोड़ दिया गया है. नदी के बीचों-बीच डंपरों से बालू की ढुलाई के लिए अस्थाई मार्ग का निर्माण किया गया. यमुना नदी में तीन मीटर से ज्यादा या फिर पानी आने तक ही खनन हो सकता है, लेकिन यहां कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यानी यमुना नदी का सीना चीरकर, पर्यावरण को ताक पर रखकर, सरकार के राजस्व में जिला प्रशासन की शह पर बंदरबाट का खेल बदस्तूर जारी है.

यमुना नदी को खोखला करने का लाइसेंस किसने दिया?

आखिर खनन के नाम पर यमुना नदी के साथ खुल्लम-खुल्ला खिलवाड़ की छूट किसने दी. फोन पर जिले के खनन अधिकारी ने कैमरे में कैद सच्चाई को झुठलाने की कोशिश की. उन्होंने साइट पर चले रहे अवैध खनन का वीडियो मांगा. रिपोर्टर ने वीडियो भेजने के बजाय खनन अधिकारी को वीडियो कॉल के जरिए सच्चाई दिखाने का फैसला किया. जिला खनन अधिकारी का काम है अवैध खनन पर कार्रवाई करना लेकिन जिम्मेदार अफसर ऐसे पेश आए मानों उनकी जानकारी में कुछ भी नहीं है. जैसे ही खनन अफसर का फोन कटा, चंद सेकेंड के बाद आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर के मोबाइल पर अननोन नंबर से फोन आया. ये फोन खनन का पट्टा लेनी वाली कंपनी की तरफ से आया. फोन करने वाले ने अपना नाम मचल सिंह बताया. रिपोर्टर ने मिलने की इच्छा जाहिर की. चंद मिनटों में मचल सिंह सफेद रंग की स्कॉपियो, जिसका नंबर है-UP16 CS 9720 से हमारे दफ्तर पहुंच गया.

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जैसे ही बातचीत शुरू हुई अवैध खनन के खेल का सच हमारे कैमरे में कैद हो गया. मचल सिंह का दावा है कि बालाजी इंटरप्राइजेज का काम नोएडा में वही देखता है, लेकिन उसे खनन से जुड़े कायदे कानून नहीं पता है. मतलब मचल सिंह जितना बता रहा था, उससे कहीं ज्यादा छिपा रहा था ताकि अवैध खनन के काले कारोबार पर पर्दा डाल सके. लेकिन हमारे खुफिया कैमरे में मचल सिंह और उसका साथी शुभम यादव बेनकाब हो गए.

अवैध खनन और खनन माफियाओं पर लगाम लगाने का जिम्मा प्रशासन, जिला खनन विभाग और पुलिस के कंधों पर है. आजतक के कैमरे ने यमुना नदी के दुश्मनों का पर्दाफाश कर दिया. लेकिन जिला प्रशासन अंधेरगर्दी पर आंखें मूंद कर बैठा है.  चौंकाने वाला सत्य यही है कि पट्टे की आड़ में कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. लेकिन जिला प्रशासन हाथ बांधकर बैठा है. बालाजी इंटरप्राइजेज को मिली पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का खुल्ला उल्लंघन चल रहा है. 

पर्यावरण मंजूरी के दस्तावेज बताते हैं कि खनन के लिए स्कूपर जैसी भारी मशीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. खनन के लिए जेसीबी की इजाजत है लेकिन कुछ शर्तों के साथ. खनन के लिए यमुना नदी की धारा को बदला नहीं जा सकता. रिवर बेड पर डंपरों की आवाजाही पर मनाही है. लेकिन यमुना नदी में रास्ता बनाकर खनन की ढुलाई जारी है. 

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रात और दिन नदी के अंदर मशीनें चलती हैं, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है. स्थानीय प्रशासन की अनदेखी की वजह से अवैध खनन का खेल चल रहा है. ये तब है जब स्थानीय लोग कई बार अवैध खनन के खिलाफ जिला प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा चुके हैं. कोई एक्शन नहीं होने की वजह से खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं. आजतक की पड़ताल ने नोएडा में खनन के काले खेल से पर्दा उठा दिया. 

हरियाणा में फैला अवैध खनन का जाल

हरियाणा के यमुना नगर से लेकर सोनीपत में, खनन के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे, प्रतिबंधित मशीनें यमुना नदी के गर्भ में खौफनाक खिलवाड़ कर रही हैं. हरियाणा में यमुना नगर की रादौर तहसील में यमुना नदी के सीने पर पोकलेन मशीनें चलाई जा रही हैं और अवैध खनन का खौफनाक खेल चल रहा है. सवाल यही है कि हरियाणा सरकार क्या कर रही है? 

यमुना नगर में अवैध खनन का सच, बेहद ही चौंकाने वाला है. आजतक की टीम राज्य दर राज्य अवैध खनन की पड़ताल करते हुए, हरियाणा के यमुनानगर में पहुंची तो, जो कुछ देखा, अगर उसपर जल्दी एक्शन नहीं हुआ तो बड़ा खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है. बड़ी बात ये है कि खनन माफिया ने इस कदर अवैध खनन किया है कि यमुना नगर के नगली पुल की नींव पर असर पड़ने लगा है. 100 करोड़ का बजट पास करके, सरकार ने इस पुल को जनता के लिए बनवाया लेकिन खनन माफियाओं ने अवैध खनन से इस पुल के वजूद को ही खतरे में डाल दिया है.

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यमुनानगर यमुना नदी में अवैध खनन को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. जहां सरकार ने कोर्ट में दावा किया कि यमुना के दो ब्लॉकों में कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है. वहीं लोक निर्माण विभाग यानी PWD के आधिकारिक पत्र इस दावे के उलट तस्वीर पेश करते हैं. और अब ये मामला सिर्फ अवैध खनन का नहीं है, बल्कि रिकॉर्ड नष्ट करने, झूठी रिपोर्टिंग और संगठित प्रशासनिक विफलता का भी बन गया है. जहां तस्वीरों में आज भी अवैध खनन करती हुई पोकलेन मशीनें आजतक के कैमरे पर दिखाई दे रही हैं, वहां एसडीएम साहब कहते हैं कि उन्होंने साइट पर जांच की तो सबकुछ नियमों के हिसाब से चल रहा था.

हरियाणा में सोनीपत के असदपुर नांदनौर से गुजरने वाली यमुना नदी में धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है. लाइन से पोकलेन मशीनें यमुना नदी को खोखला कर रही हैं. कहने को सोनीपत में यमुना नदी के इस असदपुर प्वाइंट पर जेलकोहा नाम की कंपनी ने टेंडर लिया हुआ है, लेकिन टेंडर के नाम पर अवैध खनन का नंगा नाच हो रहा है. खनन माफियाओं ने नियमों को ताक पर रखा हुआ है. इस अवैध खनन की गवाही आजतक पर एक शिकायतकर्ता ने भी दी है.

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शिकायतकर्ता के मुताबिक, शाम 6 बजे के बाद, खनन पूरी तरह अवैध है. लेकिन सोनीपत के असदपुर प्वाइंट पर यमुना पूरी रात खोदी जा रही है. लेकिन सोनीपत जिला प्रशासन की बार-बार गंभीर शिकायतों के बावजूद, जब नींद नहीं टूटी, पंचकूला शिकायत की गई. उसके बाद अवैध खनन पर कैसे खानापूर्ती की जाती है, वो भी हम आपको बताते हैं. जहां दर्जनों पोकलेन मशीनों से यमुना खोदी जा रही थी, और दर्जनों ट्रक ओवर लोड किया जा रहे थे, वहां कार्रवाई के नाम पर, एक पोकलेन मशीन और दो ट्रक सीज किए जाते हैं. इसके बाद सोनीपत के खनन अधिकारी दावा करते हैं कि पूरे साल में 122 बार छापेमारी की गई है. 

नर्मदा का सीना चीर रही मशीनें
 
आजतक के रिपोर्टर जान जोखिम में डालकर नर्मदा नदी के दुश्मनों का सच कैमरे में कैद करने पहुंचे. क्योंकि खनन माफियाओं और जिला प्रशासन का खतरनाक सिंडिकेट मध्यप्रदेश के सिहोर जिले में बेरोकटोक ऑपरेट कर रहा है. मतलब जिला प्रशासन के संरक्षण में खनन माफियाओं को नर्मदा नदी का सीना चीरने का खुला लाइसेंस मिला हुआ है. नर्मदा नदी के किनारे जैसे ही आजतक का कैमरा पहुंचा, खनन माफियाओं के खतरनाक खेल की सच्चाई सामने आ गई. वही सच्चाई जिसपर जिला प्रशासन ने पर्दा डाल रखा है.

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जिला प्रशासन की सरपरस्ती पर खनन के सारे कायदे और कानून यहां ताक पर हैं. न कोई सुनने वाला है, न कोई देखने वाला. दिन-रात जेसीबी से नर्मदा नदी को बर्बादी करने की कहानी खुल्लम-खुल्ला लिखी जा रही है. खनन का खेल ऐसा है कि खास नाव बना रखी है, जिसका काम है नर्मादा नदी के बीचों-बीच से रेत को बाहर निकालना. स्थानीय लोग भी मानते हैं कि यहां खनन माफियों का राज चलता है. जिला प्रशासन की अंधेरगर्दी पर कड़ी और बड़ी कार्रवाई जरूरी हैं, क्योंकि वक्त रहते कार्रवाई नहीं हुई तो नर्मदा नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. 

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