SCO समिट में आतंकवाद पर सख्त रुख चाहता था भारत, 'एक देश' के अड़ंगे की वजह से जारी नहीं हो सका साझा बयान

हालांकि MEA प्रवक्ता ने उस देश का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि एक विशेष सदस्य देश ने आतंकवाद पर फोकस किए जाने का विरोध किया, जिसकी वजह से साझा घोषणापत्र रुक गया. यह स्थिति SCO जैसे बहुपक्षीय मंच की एकजुटता पर भी सवाल खड़े करती है.

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SCO समिट के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह SCO समिट के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

भारत सरकार कहा है कि कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे को साझा बयान में शामिल करने पर एक देश ने आपत्ति जताई, जिस वजह से साझा बयान जारी नहीं हो सका. 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि यह बैठक दो दिनों तक चली, लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति न बन पाने के कारण साझा बयान को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. भारत ने सम्मेलन में आतंकवाद के विभिन्न स्वरूपों का उदाहरण देते हुए उसकी सभी तरह की गतिविधियों – सीमा पार आतंकवाद, फंडिंग, साजिशकर्ताओं और प्रायोजकों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी.

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 इसके अलावा रक्षा मंत्री ने कहा था कि आतंकवाद के प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.उन्होंने दो टूक कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसके खिलाफ सभी 11 सदस्य देशों को एकजुट होना चाहिए.

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किस देश ने जताई आपत्ति?
हालांकि MEA प्रवक्ता ने उस देश का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि एक विशेष सदस्य देश ने आतंकवाद पर फोकस किए जाने का विरोध किया, जिसकी वजह से साझा घोषणापत्र रुक गया. यह स्थिति SCO जैसे बहुपक्षीय मंच की एकजुटता पर भी सवाल खड़े करती है.

भारत ने दोहराया कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले, उनको संगठित करने वाले, आर्थिक मदद करने वाले और उनको शह देने वाले लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उनके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया चलनी चाहिए.

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ट्रंप के अमेरिकी दौरे पर भी दी प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर के व्हाइट हाउस दौरे पर रणधीर जायसवाल ने कहा, "...हमने इस दौरे पर गौर किया है. इस पर कहने के लिए मेरे पास इससे अधिक कुछ नहीं है. जहां तक भारत-अमेरिका संबंधों का सवाल है, हमारी साझेदारी व्यापक है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और बढ़ती रणनीतिक समानता पर आधारित है. भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को शीर्ष स्तर पर निरंतर प्राथमिकता मिलती रही है और यह विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर संवाद और सहयोग में परिलक्षित होती है जिसमें व्यापार, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, रक्षा और कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं."

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