ओडिशा: एक ही गोत्र में शादी करने पर आदिवासी जोड़े को हल से बांधकर गांव में घुमाया गया

ओडिशा के आदिवासी बहुल कोरापुट जिले से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां नारायणपटना ब्लॉक के नदिमीटिकी गांव में एक नवविवाहित आदिवासी जोड़े को सिर्फ इस वजह से हल से बांधकर पूरे गांव में घुमाया गया.

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एक ही गोत्र में शादी करने पर आदिवासी जोड़े को हल से बांधकर गांव में घुमाया गया- (Photo: AI-generated) एक ही गोत्र में शादी करने पर आदिवासी जोड़े को हल से बांधकर गांव में घुमाया गया- (Photo: AI-generated)

aajtak.in

  • कोरापुट (ओडिशा),
  • 13 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:37 PM IST

ओडिशा के आदिवासी बहुल कोरापुट जिले से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां नारायणपटना ब्लॉक के नदिमीटिकी गांव में एक नवविवाहित आदिवासी जोड़े को सिर्फ इस वजह से हल से बांधकर पूरे गांव में घुमाया गया, क्योंकि उन्होंने एक ही गोत्र में शादी कर ली थी. यह घटना रविवार को हुई.

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि युवक-युवती को एक लकड़ी के हल से बांधा गया है और उन्हें पूरे गांव में परेड करवाया जा रहा है. हालांकि, समाचार एजेंसी पीटीआई इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सका है.

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स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, एक ही गोत्र में शादी करना आदिवासी परंपराओं के खिलाफ माना जाता है और इससे समुदाय पर 'दुर्भाग्य' आने की आशंका मानी जाती है, विशेष रूप से फसलों पर बुरा असर पड़ने का डर रहता है.

गांव के एक बुजुर्ग नागेश टांडी ने बताया, 'हमारी परंपरा के अनुसार, ऐसे रिश्ते समाज के लिए अपशगुन माने जाते हैं. हल से बांधकर घुमाने की सजा एक प्रतीकात्मक चेतावनी थी.'

'शुद्धिकरण अनुष्ठान' किया गया
घटना के बाद गांव के बुजुर्गों ने एक 'शुद्धिकरण अनुष्ठान' किया और फिर उस जोड़े को युवक के पिता के साथ रहने की अनुमति दे दी गई. नारायणपटना पुलिस थाने के इंस्पेक्टर इन चार्ज (IIC) प्रमोद नायक ने बताया कि वीडियो के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच के लिए एक टीम को गांव भेजा गया है.

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यह ओडिशा में इस सप्ताह हुई ऐसी दूसरी घटना है. इससे पहले रायगढ़ा जिले में भी एक जोड़े को हल के साथ बांधकर खेत जोतने के लिए मजबूर किया गया था. सरकार और प्रशासन से इस तरह की घटनाओं पर कठोर कार्रवाई की मांग उठने लगी है ताकि ऐसे अपमानजनक 'समाजिक फैसलों' पर रोक लग सके.

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