प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की नई टीम (Modi New Team) तैयार हो गई है. मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) में चमकदार चेहरों को बाहर कर लो-प्रोफाइल चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन क्यों? आखिर क्यों पहले दिन से ही नए मंत्रियों (Ministers) का इम्तेहान शुरू हो गया है? मोदी सरकार (Modi Government) के नए दौर के मायने देश के लिए, नए मंत्रियों के लिए और बीजेपी नेताओँ के लिए क्या है, आइए समझते हैं...
एक-एक चेहरे को मोदी ने खुद चुना!
कैबिनेट (Cabinet) में सबसे बड़े फेरबदल के बाद जो चेहरे अंदर हुए अब यही नई टीम नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया के ब्लू- प्रिंट को साकार करेगी. मोदी ने एक-एक चेहरे को खुद चुना है. हर चेहरे के हिसाब से मंत्रालय का बंटवारा किया गया है यानी जैसी चुनौती सरकार के सामने है, उसे हैंडल करने के लिए वैसे ही टेस्टेड चेहरे को नए मोर्चों पर भेजा है. ऐसा करते वक्त हैविवेट चेहरों को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
मोदी की नई टीम में नए कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju), नए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan), नए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), नए खेल औऱ सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur), नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandviya), नए रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) की खूब चर्चा है.
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4 बड़ी चुनौतियां, उनके लिए वैसे ही चेहरे...
पहली चुनौतीः कोरोना महामारी से निपटना
डॉक्टर हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) की जगह गुजरात के मनसुख मांडविया (Manshukh Mandviya) को हेल्थ मिनिस्ट्री (Health Ministry) का हेड बना दिया गया है. मनसुख मांडविया के नाम को चुनने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही है. पहली ये कि प्रधानमंत्री मोदी की कोरोना मैनेजमेंट की टीम में मनसुख शामिल थे. दवाइयों के प्रोडक्शन से लेकर दवाइयों की सप्लाई में अहम भूमिका निभाई. ऑक्सीजन की किल्लत से निपटने की रणनीति बनाने में शामिल रहे. ये एक पक्ष है जबकि दूसरा पक्ष ये है कि मनसुख गुजरात के सौराष्ट्र से आते हैं और पाटीदार हैं, माना जा रहा है कि अगले साल चुनाव से पहले मोदी ने मनसुख को अहम जिम्मेदारी देकर बड़ा मैसेज दिया है.
दूसरी चुनौतीः लॉकडाउन से खड़ा हुआ रोजगार संकट
बीजेपी (BJP) में रणनीतिकार कहे जाने वाले भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने श्रम एंव रोजगार मंत्रालय का कामकाज संभाला. वहीं कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) की बड़ी मार सीधे देशभर के श्रमिकों पर पड़ी. नौकरी में छंटनी से लेकर नए रोजगार तक हर मोर्चे पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की भूमिका सवालों के घेरे में रही. वकील से नेता बने भूपेंद्र यादव के सामने कई चुनौतियां हैं जैसे श्रम कानून में सुधार को लागू करवाना. बेरोजगार श्रमिकों के लिए नई नीति बनाना. भूपेंद्र यादव राज्यसभा सांसद हैं और टीम मोदी में काम करने का लंबा अनुभव है. कानून के जानकार होने की वजह से लेबर लॉ रिफॉर्म में अहम भूमिका निभाएंगे.
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तीसरी चुनौतीः पेट्रोल और डीजल की बेलगाम कीमतें
अब बात नए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) की. अगर हरदीप सिंह पुरी के प्रोफाइल को देखें तो वो पूर्व IFS अफसर हैं और इस वक्त मोदी सरकार में एकमात्र सिख मंत्री. हरदीप पुरी अपने काम की वजह से मोदी की गुड बुक में हैं और तो और सरकार के पक्ष को जोरदार तरीके से रखते हैं. जैसा सेंट्रल विस्टा से लेकर दूसरे मुद्दों पर दिखा. लेकिन नई जिम्मेदारी काटों के ताज से कम नहीं है. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) को नीचे लाना है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पेट्रोल-डीजल पर टैक्स को लेकर कोई बड़ा फैसला आ सकता है. ये फैसला जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम पदार्थ को शामिल करने का भी हो सकता है.
चौथी चुनौतीः सोशल मीडिया बनाम केंद्र का झगड़ा
अश्विनी वैष्णव को रेलवे के साथ-साथ आईटी मंत्री बनाया गया है. चेहरा नया है लेकिन ट्विटर बनाम केंद्र सरकार (Twitter vs Centre) की जंग के बीच रविशंकर प्रसाद को हटाकर इन्हें नई जिम्मेदारी मिली है. चाहे रेलवे को लेकर मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हो या फिर सोशल मीडिया को लेकर छिड़ी जंग. दोनों मोर्चों की कमान आईटी एक्सपर्ट और पूर्व नौकरशाह अश्निवी वैष्णव के हाथों में है. उनके सामने दो बड़ी चुनौती है. पहली तो ये कि ट्विटर से चल रही जंग से निपटना और दूसरी रेलवे की सूरत बदलना. अश्निवी वैष्णव की जन्मभूमि राजस्थान है और कर्मभूमि ओडिशा. आईएएस अफसर रहे अश्निवी वैष्णव लो-प्रोफाइल रहते हैं और मोदी के भरोसेमंद हैं.
(रिपोर्टः आजतक ब्यूरो)
संजय शर्मा