मां के निधन के बाद मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी को पुलिस एस्कॉर्ट के बिना मिली पैरोल

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी मुजम्मिल शेख महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मीरा रोड का निवासी है और उसने अपनी मां के निधन के 40 दिन बाद कुछ रीति-रिवाज निभाने के लिए इमरजेंसी पैरोल की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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मुंबई ब्लास्ट (फाइल फोटो/एएफपी) मुंबई ब्लास्ट (फाइल फोटो/एएफपी)

विद्या

  • मुंबई,
  • 14 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:14 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी मुजम्मिल शेख को बिना पुलिस एस्कॉर्ट के पांच दिन की डेथ पैरोल दे दी. शेख नासिक जेल में बंद है और 14 जून से पैरोल पर रिहा किया जाएगा. इससे पहले की सुनवाई के दौरान, हाई कोर्ट ने जेल अधिकारियों से भारी भरकम चार्ज पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था. हालांकि, फ्री पुलिस एस्कॉर्ट देने के बजाय, अधिकारियों ने फैसला किया कि वे खुद कोई एस्कॉर्ट नहीं देंगे.

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मुजम्मिल शेख महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मीरा रोड का निवासी है और उसने अपनी मां के निधन के 40 दिन बाद कुछ रीति-रिवाज निभाने के लिए इमरजेंसी पैरोल की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

पर्सनल बॉन्ड पर करनी होगी साइन

रिहाई से पहले मुजम्मिल शेख को पैरोल का फायदा उठाने और 19 जून को दोपहर से पहले नासिक जेल में वापस रिपोर्ट करने के लिए एक पर्सनल बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना होगा. उसे अपने दो परिवार के सदस्यों का कॉन्टैक्ट नंबर भी देना होगा.

यह तब हुआ जब राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा कि नासिक केंद्रीय कारागार के जेलर ने मुजम्मिल शेख को रिहा करने में कोई समस्या नहीं जताई.

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18 सालों से जेल में है दोषी

मुजम्मिल शेख पिछले 18 वर्षों से सलाखों के पीछे है और अपने वकीलों आयशा अंसारी और इब्राहिम हर्बत के जरिए कहा था कि उसके पास एस्कॉर्ट चार्ज का भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं, क्योंकि उसके माता-पिता दोनों का निधन हो चुका है और उसका भाई भी इसी मामले में जेल की सजा काट रहा है.

मुजम्मिल शेख का कहना है कि उसकी सिर्फ एक बहन है, जो हाउसवाइफ है, इसलिए वह एस्कॉर्ट चार्ज के लिए हर रोज 81 हजार से ज्यादा का भारी शुल्क नहीं चुका पाएगा. 

वकीलों ने दलील दी कि मुजम्मिल को पहले भी पुलिस एस्कॉर्ट के बिना एक दिन की पैरोल दी गई थी और वह वक्त पर वापस जेल आ गया था.

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