देशभर में मार्च के महीने में मौसम सुहाना रहने के बाद अब गर्मी डराने वाली है. अप्रैल के शुरुआती दिनों में हल्की ठंड के बाद अब तापमान बढ़ने लगा है. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस बार मॉनसून की बारिश सामान्य या उससे कुछ कम होगी. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही कृषि क्षेत्र पर ही असर देखने को मिल सकता है.
पहले भाग में सामान्य मॉनसून
आईएमडी ने मॉनसून के दौरान 96% औसत वर्षा की भविष्यवाणी की है. हालांकि, इसमें 5% कम या ज्यादा का अंतर हो सकता है. इस दौरान सामान्य बारिश देखने को मिल सकती है जबकि अगस्त-सितंबर में मॉनसून का दूसरा भाग पर अल-नीनो का प्रभाव देखने को मिल सकता है. इस दौरान बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है.
दूसरे भाग में पड़ेगा अल-नीनो का प्रभाव
मौसम विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत, पश्चिम भारत, मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.
दरअसल, मॉनसून के मौसम के दौरान अल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना है. जिसका असर दूसरे हिस्से में महसूस किया जा सकता है. बता दें कि ये साल अल-नीनो (El-Nino) या एन्सो न्यूट्रल ईयर (ENSO-neutral year) हो सकता है. इसका मतलब ये है कि मॉनसून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है.
अल-नीनो और ला-नीना
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार, अल-नीनो और ला-नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है. अल-नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला-नीना के कारण ठंडा.
क्या होता है अल-नीनो?
ट्रॉपिकल पैसिफिक यानी ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आने वाले बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल-नीनो कहते हैं. इस बदलाव की वजह होती है समुद्री सतह के तापमान का सामान्य से अधिक हो जाना. यानी सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होना. इसकी वजह ग्लोबल वॉर्मिंग भी हो सकती है.
कुमार कुणाल