रेल हादसों की सटीक जांच और सिस्टम को अधिक पुख्ता करने के लिए भारतीय रेलवे पहली बार अपने नेटवर्क में एप्लिकेशन और सिस्टम के साथ समय का सटीक तालमेल बिठाने के लिए लिए एक मास्टर क्लॉक सिस्टम विकसित करने की योजना बना रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल गांधी जयंती (2 अक्तूबर) तक इससे संबंधित एक प्रोटोटाइप प्रदर्शित करने की योजना है. रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे के सभी सिस्टम और एप्लीकेशन में एक जैसे टाइमिंग की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि समय अलग-अलग होने से रेल हादसों के बाद जांच में कठिनाई सामने आती है.
मैनुअल व्यवस्था को रद्द करेगा रेलवे
रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रेलवे जल्द ही सेक्शन कंट्रोलर के निर्देशों पर स्टेशन मास्टरों द्वारा समय निर्धारित करने की अपनी मौजूदा मैनुअल व्यवस्था को खत्म कर देगा. रेलवे बोर्ड ने मास्टर क्लॉक प्रणाली को अंतिम रूप देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.
जानें क्यों हैं मास्टर क्लॉक सिस्टम की जरूरत
दरअसल, मौजूदा मैनुअल व्यवस्था में देश भर में जोनल रेलवे समय के लिए अलग-अलग सिस्टम का उपयोग करते हैं. ऐप्लीकेशन में भी अलग टाइमिंग दिखती है. पूरे सिस्टम में एक जैसी टाइमिंग नहीं दिखती है. अब इसमें एकरूपता लाने की जरूरत इसलिए बताई जा रही है क्योंकि कहा जा रहा है कि इससे ट्रेन संचालन और प्रबंधन के साथ-साथ रेल दुर्घटनाओं के बाद सही जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी.
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सोर्सिंग का समय
अधिकारियों ने कहा कि मास्टर क्लॉक सिस्टम के लिए समय नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NAVIC) या नेशनल फिजिकल लेबोरेटरीज (NPL) से हासिल किया जाएगा. रेलवे बोर्ड के दूरसंचार निदेशक के नेतृत्व में उच्च स्तरीय टीम इस मास्टर क्लॉक सिस्टम की बारीकियों पर ध्यान देगी. इसके लिए क्षेत्रीय अधिकारियों की भी मदद ली जाएगी.
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