'मांगें न मानी गईं तो जिहाद करेंगे...', मणिपुर में वक्फ कानून के खिलाफ मैतेई पंगल का प्रदर्शन

प्रदर्शन की शुरुआत हट्टा गोलापाटी क्षेत्र में रैली के साथ हुई और बाद में प्रदर्शनकारी स्थानीय समुदाय मैदान में एकत्रित हुए. प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, 'मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान बचाओ', 'हम सरकार की नस्लीय नीतियों की कड़ी निंदा करते हैं', 'हम वक्फ अधिनियम को अस्वीकार करते हैं'.

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इंफाल में वक्फ कानून का विरोध इंफाल में वक्फ कानून का विरोध

बेबी शिरीन

  • इंफाल,
  • 12 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:04 AM IST

मैतेई पंगल (मैतेई मुस्लिम) समुदाय के हजारों लोगों ने शुक्रवार को इंफाल ईस्ट के विभिन्न क्षेत्रों में वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने इस अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे जिहाद करने पर मजबूर हो सकते हैं.

दरअसल, इस अधिनियम के लागू होने के बाद से ही देशभर में मुस्लिम समुदाय इसके प्रावधानों का विरोध कर रहा है. उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना इस्लामिक धार्मिक संस्थानों को नुकसान पहुंचाएगा.

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हट्टा गोलापाटी, इंफाल ईस्ट में प्रदर्शन के दौरान मीडिया से बात करते हुए मणिपुर मैतेई पंगल काउंसिल (MPCM) के अध्यक्ष हाजी अराफात अली टमपकमयुम ने कहा, "वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 मुस्लिम समुदाय की इच्छा के विरुद्ध जबरन लागू किया गया है. इस अधिनियम को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. यदि अधिनियम को रद्द नहीं किया गया, तो हम अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए जिहाद करने पर मजबूर हो सकते हैं."

प्रदर्शन की शुरुआत हट्टा गोलापाटी क्षेत्र में रैली के साथ हुई और बाद में प्रदर्शनकारी स्थानीय समुदाय मैदान में एकत्रित हुए. प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, 'मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान बचाओ', 'हम सरकार की नस्लीय नीतियों की कड़ी निंदा करते हैं', 'हम वक्फ अधिनियम को अस्वीकार करते हैं'.

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इसी तरह के विरोध प्रदर्शन इंफाल ईस्ट जिले के क्षेत्रिगाओ विधानसभा क्षेत्र में भी हुए. स्थानीय विधायक शेख नूरुल हसन ने प्रदर्शन में भाग लिया और मीडिया को बताया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली एक याचिका पर 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. हसन ने कहा, "इस याचिका में दस याचिकाकर्ता शामिल हैं, जिनमें मैं भी एक हूं. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐतिहासिक फैसला देगा."

प्रदर्शनकारियों द्वारा जिहाद शब्द के इस्तेमाल पर टिप्पणी करते हुए विधायक हसन ने स्पष्ट किया, "यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक है. मैं किसी भी ऐसे शब्द के इस्तेमाल की निंदा करता हूं जो अहिंसा की भावना के खिलाफ हो. वक्फ कानून भारतीय संविधान और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन है. मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है और हमें न्याय मिलने की उम्मीद है."

इंफाल ईस्ट जिले के यैरिपोक तुलिहाल क्षेत्र के मुस्लिम समुदायों ने भी अधिनियम के खिलाफ इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन किए. यूनाइटेड मैतेई पंगल कमेटी के प्रतिनिधि मोहम्मद रहीस अहमद ने अन्य समुदायों के उन लोगों को चेतावनी दी जो इस विरोध को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "कुछ लोग समाज में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं. मैं ऐसे लोगों से निवेदन करता हूं कि वे रुक जाएं. हम अपने अधिकार मांग रहे हैं, आपके नहीं. यह एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है, कृपया समझने की कोशिश करें."

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