मायावती का नई संसद पर मोदी सरकार को समर्थन, बताई उद्घाटन समारोह में न जाने की वजह

नई संसद के उद्घाटन को लेकर शुरू हुई रार खत्म नहीं हो रही है. इस मामले में अब बसपा सुप्रीमो मायावती का बयान सामने आया है. उन्होंने एक तरफ तो सरकार के फैसले का समर्थन किया है साथ ही विरोध को अनुचित ठहराया है. इसके अलावा मायावती ने साफ किया है कि वह इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाएंगी.

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बसपा सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो) बसपा सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2023,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

नई संसद के उद्घाटन को लेकर सियासी संग्राम मचा हुआ है. जैसे जैसे 28 मई की तारीख नजदीक आ रही है, विरोध और समर्थन के ज्वार भाटे में तेजी देखी जा रही है. अब इस मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती का भी बयान सामने आया है. मायावती ने दो टूक कहा कि संसद का निर्माण सरकार ने किया है तो उसे इसका पूरा हक है कि वह उद्घाटन भी करे. वहीं उन्होंने इस समारोह में निमंत्रण भेजे जाने के लिए आभार जताया है, लेकिन यह भी साफ किया है कि वह इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाएंगी.

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बहिष्कार को बताया अनुचित
मायावती ने कहा कि 'केंद्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है. 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित है. सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है. इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है. यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था.'

कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी मायावती
मायावती ने आगे कहा कि, 'देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें. किन्तु पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी.'

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राहुल गांधी ने उठाया था मुद्दा
बता दें कि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 18 मई को पीएम नरेंद्र मोदी को नए भवन का उद्घाटन करने के लिए निमंत्रण दिया. इस पर विपक्षी दलों ने विरोध कर दिया. उनका कहना है कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराना, उनके पद का अपमान है. वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना, यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है. 

अमित शाह ने कही ये बात
दूसरी ओर, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर संसद के संरक्षक होते हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है. नई संसद के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनने के लिए सरकार ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया है. लोग अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के हिसाब से रीएक्ट करते हैं. हमें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.

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