'सरल होनी चाहिए कानून की भाषा....', ICPS के ट्रेनिंग प्रोग्राम में बोले लोकसभा स्पीकर 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट और सरल विधायी मसौदा तैयार करने के महत्व पर जोर दिया है. उन्होंने चेतावनी दी कि कानूनों में किसी भी तरह की अस्पष्टता से न्यायिक हस्तक्षेप का दायरा बढ़ता है. उन्होंने कहा कि विधायी मसौदा तैयार करना लोकतंत्र की आत्मा है.

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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला. (Photo: PTI) लोकसभा स्पीकर ओम बिरला. (Photo: PTI)

पीयूष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:46 AM IST

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को विधायी मसौदा लेखन के महत्व पर बल देते हुए कहा कि कानूनों में किसी भी तरह की अस्पष्टता या "ग्रे एरिया" से न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ती है. चंडीगढ़ में महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में विधायी मसौदा लेखन पर आयोजित दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम के उद्घाटन के दौरान उन्होंने ये बात कही. 

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बिरला ने कहा, 'विधायी मसौदा लेखन केवल एक तकनीकी कार्य नहीं है, बल्कि ये लोकतंत्र की आत्मा है. जितना स्पष्ट मसौदा होगा, उतना ही बेहतर कानून बनेगा.'


ये प्रशिक्षण कार्यक्रम हरियाणा विधानसभा और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉन्स्टिट्यूशनल एंड पार्लियामेंट्री स्टडीज (आईसीपीएस) के सहयोग से आयोजित किया गया. इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू.टी. खादर फरीद, उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिढ्ढा और लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह उपस्थित थे.

बिरला ने जोर देकर कहा कि कानूनों की भाषा इतनी सरल और सुलभ होनी चाहिए कि आम नागरिक भी अपने अधिकारों को आसानी से समझ सकें.

'कानून की भाषा या संरचना पर कोई आपत्ति न हो'

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विधेयकों पर मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन अच्छा मसौदा ये सुनिश्चित करता है कि कानून की भाषा या संरचना पर कोई आपत्ति न हो. उन्होंने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संवैधानिक शक्ति पृथक्करण का उल्लेख करते हुए कहा कि कानूनों को कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने और त्वरित न्याय प्रदान करने वाला होना चाहिए.

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बिरला ने यह भी कहा, 'मसौदा लेखन में अल्पविराम और अर्धविराम जैसे विराम चिह्न भी मायने रखते हैं. कानूनों में संवैधानिक मूल्यों और जनता की आकांक्षाओं को पूरी स्पष्टता के साथ प्रतिबिंबित करना चाहिए.'

हरियाणा के 400 से ज्यादा कर्मियों ने नहीं लिया भाग

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाते हैं और विधायिकाओं की प्रभावशीलता को मजबूत करते हैं. दो दिवसीय वर्कशॉप में हरियाणा विधानसभा और राज्य सरकार के लगभग 400 अधिकारी और कर्मचारी भाग ले रहे हैं. इस कार्यशाला में संवैधानिक मूल्य, कानूनी भाषा और व्याख्या नियम जैसे विषयों को शामिल किया गया है.

ये प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 2023 में शुरू किए गए राष्ट्रीय विधायी मसौदा कार्यक्रम का हिस्सा है. इससे पहले गांधीनगर, लखनऊ, शिमला, रांची, जबलपुर और पटना में भी ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं. चंडीगढ़ का ये कार्यक्रम 27 सितंबर को समाप्त होगा.

लोकसभा स्पीकर ने कृषि, खेल और उद्योग जगत में हरियाणा की उपलब्धियों के साथ-साथ लोकतांत्रिक परंपराओं में उसके योगदान की भी सराहना की.
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रशिक्षण से अधिकारियों को जन-केंद्रित कानून बनाने में मदद मिलेगी जो जनता की अपेक्षाओं को पूरा करेंगे.

उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए हरियाणा सरकार, हरियाणा विधानसभा और आईसीपीएस को धन्यवाद दिया तथा लोकतांत्रिक संवाद को लोगों तक ले जाने में मीडिया की भूमिका की सराहना की.

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