प्राइवेट प्लेयर्स के लिए खुलेगा न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर, लोकसभा में SHANTI बिल पास

विपक्ष के सदन से वॉकआउट के बीच ‘सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल’ को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई. बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे 'मील का पत्थर साबित होने वाला कानून' बताया.

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63 साल पुराने राज्य एकाधिकार को तोड़ते हुए प्राइवेट कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में हिस्सेदारी मिलेगी. (File Photo- PTI) 63 साल पुराने राज्य एकाधिकार को तोड़ते हुए प्राइवेट कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में हिस्सेदारी मिलेगी. (File Photo- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:32 PM IST

भारत की ऊर्जा दुनिया में ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है. लोकसभा में बुधवार को देश के नागरिक न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स की भागीदारी का रास्ता खोलने वाले महत्वपूर्ण विधेयक को पारित किया गया. ‘सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल’ को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई. विपक्ष के सदन से वॉकआउट के बीच यह विधेयक पारित हुआ. 

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63 साल पुराने राज्य एकाधिकार को तोड़ते हुए प्राइवेट कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में हिस्सेदारी मिलेगी. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह कानून भारत को वर्ष 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए जितेंद्र सिंह ने इसे 'मील का पत्थर साबित होने वाला कानून' बताया. उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक भूमिका तेजी से बढ़ रही है और यदि देश को एक प्रभावी वैश्विक शक्ति बनना है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों और रणनीतियों के अनुरूप आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है और भारत ने भी इसी दिशा में 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है.

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SHANTI बिल का उद्देश्य क्या?

सरकार के अनुसार, SHANTI बिल का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना है. अब तक यह क्षेत्र मुख्य रूप से सरकारी नियंत्रण में रहा है, लेकिन नए कानून के तहत निजी कंपनियों की भागीदारी को अनुमति दी जाएगी. सरकार का दावा है कि इससे तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, परियोजनाओं की गति तेज होगी और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मजबूत होगी.

विपक्ष ने विधयेक का किया कड़ा विरोध

हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कानून न्यूक्लियर डैमेज के लिए सिविल दायित्व अधिनियम, 2010 के प्रावधानों को कमजोर करता है. विपक्ष का कहना है कि मौजूदा कानून के तहत किसी परमाणु दुर्घटना की स्थिति में उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर जिम्मेदारी तय की जाती है, लेकिन नए बिल से यह जिम्मेदारी कमज़ोर हो सकती है, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा और मुआवजे के अधिकारों पर असर पड़ेगा.

विपक्ष ने आशंका जताई कि निजी कंपनियों को परमाणु क्षेत्र में प्रवेश देने से सुरक्षा मानकों और जवाबदेही से समझौता हो सकता है. इसी विरोध के चलते विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया.

सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सुरक्षा और जवाबदेही से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और सभी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा. सरकार का कहना है कि SHANTI बिल भारत की ऊर्जा जरूरतों, जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक विकास के लिए एक निर्णायक कदम है.

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