डीके शिवकुमार को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, CBI की FIR को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही डीके शिवकुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी प्राप्त किए बिना शुरू की गई.

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कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (फाइल फोटो/PTI) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (फाइल फोटो/PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

कर्नाटक (Karnataka) के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. आय से अधिक संपत्ति मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ दर्ज सीबीआई की एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि वह कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है.

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बेंच ने कहा, "माफ कीजिए, इस याचिका को खारिज किया जाता है."

सुनवाई शुरू होते ही शिवकुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी प्राप्त किए बिना शुरू की गई. जब इनकम टैक्स पहले से ही मामले की जांच कर रहा है, तो उसी ट्रांजैक्शन के लिए सीबीआई की एफआईआर नहीं हो सकती.

हालांकि, बेंच ने मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया. 

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 19 अक्टूबर, 2023 के आदेश के खिलाफ शिवकुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बता दें कि हाई कोर्ट से कर्नाटक के डिप्टी सीएम की याचिका खारिज कर दी गई थी.

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हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच पूरी कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सीबीआई ने आरोप लगाया कि शिव कुमार ने 2013 से 2018 के बीच अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति अर्जित की. इस दौरान वह पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे. सीबीआई ने 3 सितंबर, 2020 को एफआईआर दर्ज की थी. शिवकुमार ने 2021 में एफआईआर को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

आईटी डिपार्टमेंट ने साल 2017 में शिवकुमार के कार्यालयों और आवास पर तलाशी ली थी, जिसके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी. ईडी की जांच के आधार पर सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मांगी थी. राज्य सरकार ने 25 सितंबर, 2019 को मंजूरी दी थी और एक साल बाद एफआईआर दर्ज की गई थी. डीके शिवकुमार ने राज्य द्वारा दी गई मंजूरी को एक अलग याचिका में चुनौती दी थी, जिसे पहले हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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