कर्नाटक सरकार की एक विशेष कैबिनेट बैठक में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण (जातिगत जनगणना रिपोर्ट) पर चर्चा की गई, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका. अब सरकार ने इस मुद्दे पर अगली बैठक 2 मई को बुलाने का निर्णय लिया है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सभी मंत्रियों से कहा कि वे अगली बैठक से पहले इस विषय पर अपना पक्ष लिखित या मौखिक रूप में प्रस्तुत करें. परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि बैठक शांतिपूर्ण रही और किसी प्रकार का असंतोष या विवाद नहीं हुआ.
राज्य कैबिनेट ने गुरुवार को सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई थी, बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा हुई, लेकिन निर्णय नहीं हो पाया क्योंकि अभी और तकनीकी जानकारी की आवश्यकता है. हमने रिपोर्ट के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से चर्चा की, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों के अभाव में चर्चा अधूरी रह गई.
पाटिल ने बताया कि जनसंख्या और पिछड़ेपन का आकलन किन मानकों के आधार पर किया गया है, इस पर भी मंत्रियों ने विचार-विमर्श किया. पाटिल ने स्पष्ट किया कि सरकार को सर्वेक्षण में इस्तेमाल किए गए मापदंडों पर कोई संदेह नहीं है. साथ ही ये भी कहा कि कुछ लोगों द्वारा जनसंख्या आंकड़ों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में, हमने विचार के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदु रखे. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में राज्य की 94.17% आबादी को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया था.
वहीं, नगर प्रशासन मंत्री रहीम खान ने कहा कि सर्वेक्षण पर चर्चा अधूरी रही, उन्होंने कहा कि आधे मंत्रियों ने अभी तक बात नहीं की है. भाजपा का एकमात्र एजेंडा हमें निशाना बनाना है, हमारे समुदाय के लिए दिखाए गए आंकड़े वास्तविकता से कम हैं. सर्वे के अनुसार आंकड़े वही हैं जो 10 साल पहले थे. वास्तव में, एक दशक पहले की तुलना में प्रतिशत में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसे कम नहीं, बल्कि बढ़ना चाहिए था. अब अगली बैठक 2 मई को माले महादेश्वरा हिल्स (एमएम हिल्स) में होगी, जिसमें जातिगत जनगणना के साथ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी.
सगाय राज