जम्मू इन दिनों दशकों की सबसे भारी बारिश से जूझ रहा है. शहर में सिर्फ 24 घंटे में 296 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो अगस्त महीने में 1973 के बाद सबसे ज़्यादा है. उधमपुर का हाल और भी चौंकाने वाला रहा जहां एक ही दिन में 629.4 मिमी बारिश हुई और नया रिकॉर्ड बन गया.
तेज बारिश ने शहर की सड़कों को डुबो दिया है. कई इलाकों में संचार नेटवर्क ठप हो गया और स्कूल बंद करने पड़े. नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन हुआ. वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुए बड़े लैंडस्लाइड में 41 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से ज्यादातर श्रद्धालु थे.
पिछले सात दिनों में जम्मू-कश्मीर में 260% ज्यादा बारिश हुई है. IMD के आंकड़े बताते हैं कि अनंतनाग, डोडा और कुलगाम सबसे ज्यादा प्रभावित रहे, जहां सामान्य से 500% से ज्यादा बारिश दर्ज हुई. पुलवामा, रामबन, सांबा और जम्मू में भी हालात इसी तरह रहे. वहीं, पूंछ जिले में बारिश कम हुई और यहां -34% की कमी दर्ज हुई.
तेलंगाना में भी रिकॉर्ड तोड़ बारिश
ये बारिश सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं रही. तेलंगाना में भी हालात हैरान करने वाले रहे. कामारेड्डी जिले में सामान्य से 3,246% ज्यादा बारिश दर्ज हुई. निजामाबाद, मेडक, सिद्दिपेत, करीमनगर और निर्मल में भी बारिश 1,000% से ज्यादा रही.
वहीं, राज्य के दक्षिणी जिलों में हालात थोड़े सामान्य रहे. महबूबनगर में सिर्फ 24% ज्यादा, जबकि नारायणपेट में 39% ज्यादा बारिश हुई. शहरी जिलों जैसे हैदराबाद और मेडचल-मलकाजगिरी में भी सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई.
साप्ताहिक बारिश के उतार-चढ़ाव
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून की शुरुआती हफ्तों में तस्वीर काफी अलग थी. 11 जून खत्म होने वाले हफ्ते में झारखंड, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के किसी भी जिले में भारी बारिश (लार्ज एक्सेस) नहीं थी. लेकिन 18 जून खत्म होने वाले हफ्ते में कई राज्यों में भारी बारिश वाले जिलों की संख्या बढ़ गई.
जुलाई में भी यही पैटर्न दिखा.
16 जुलाई वाले हफ्ते में झारखंड के 75% जिलों और राजस्थान के 73% जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई. वहीं महाराष्ट्र और तेलंगाना के किसी भी जिले में इतनी ज्यादा बारिश नहीं हुई. लेकिन अगस्त में तस्वीर बिल्कुल बदल गई. 27 अगस्त खत्म होने वाले हफ्ते में राजस्थान के 91%, महाराष्ट्र के 89%, तेलंगाना के 82% और जम्मू-कश्मीर के 80% जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई.
इससे साफ है कि मॉनसून का पैटर्न इस बार सीधा नहीं रहा, बल्कि टुकड़ों में, तेज़ और असमान रूप से बरसा, कभी किसी राज्य को डुबो दिया, तो कभी दूसरे हिस्सों को लगभग खाली छोड़ दिया.
अंकिता तिवारी