'सात लोगों का परिवार कैसे पालूं', HRTC ड्राइवर का छलका दर्द, 15 हजार लोगों की नहीं आई सैलरी

हिमाचल प्रदेश सरकार इस वक्त बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही है. यहां कई HRTC ड्राइवर की सैलरी नही आई है. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने बुधवार को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि केवल बोर्डों और निगम कर्मचारियों के वेतन में देरी हुई है, जो दो दिनों के भीतर जारी किया जाएगा.

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हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मियों को नहीं मिल पा रही है सैलरी (फाइल फोटो) हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मियों को नहीं मिल पा रही है सैलरी (फाइल फोटो)

मनजीत सहगल

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:08 AM IST

हिमाचल प्रदेश के पथ परिवहन निगम (HRTC) के लगभग 12000 से ज्यादा कर्मचारियों को इस महीने की तनख्वाह अभी तक नहीं दी गई है. यह संख्या 15 हजार तक बताई जा रही है. इसे लेकर कर्मचारियों में खासा रोष देखने को मिल रहा है. जॉइंट कोआर्डिनेशन कमेटी के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने आज तक से बात करते हुए बताया कि हर महीने कर्मचारियों और पेंशनर के लिए सरकार लगभग 65 करोड़ रुपये ग्रांट देती है जोकि इस महीने अभी तक नहीं दी गई है जिसकी वजह से अभी तक कर्मचारियों को मई महीने की तनख्वाह नहीं मिली है.

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पीड़ित ड्राइवर की जुबानी, घर चलाना हो रहा है मुश्किल
छप्पन वर्षीय सुखदेव परिवहन निगम (एचआरटीसी) में ड्राइवर हैं. वह उन हजारों अन्य निगम कर्मचारियों में से एक हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा कर्मचारी संघ को दिए गए आश्वासन के बावजूद वेतन नहीं मिला है. जबकि हर महीने की सातवीं तारीख से पहले वेतन का इंतजार रहता है. वह बताते हैं कि 'कोविड-19 महामारी के बाद हमें कभी भी समय पर वेतन नहीं मिला. पिछली सरकार के कार्यकाल से वेतन में देरी हो रही है. नई सरकार ने समय पर वेतन देने का आश्वासन दिया है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. हम कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. एचआरटीसी के बिलासपुर डिपो में सुखदेव ड्राइवर हैं और अपने सात सदस्यीय परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले हैं. सुखदेव कहते हैं कि वेतन न मिलने से परिवार के सदस्यों को खिलाना मुश्किल है.

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पिछली सरकार में भी देरी से मिला था वेतन
एचआरटीसी कर्मचारी संघ के प्रवक्ता राजिंदर ठाकुर का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब वेतन में देरी हुई है. पिछली सरकार भी निगम में घाटा होने के कारण उनके वेतन में देरी करती थी. उन्होंने बताया कि "स्कूल की फीस का प्रबंधन करना और ईएमआई का भुगतान करना मुश्किल हो गया है. हमारा 2016 से बकाया है और यात्रा खर्च भी रोक दिया गया है. पिछली सरकार के दौरान भी वेतन में देरी हुई थी. 

सरकार ने जल्द वेतन भुगतान का दिया आश्वासन
सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने बुधवार को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि केवल बोर्डों और निगम कर्मचारियों के वेतन में देरी हुई है, जो दो दिनों के भीतर जारी किया जाएगा. राज्य सरकार के प्रवक्ता नरेश चौहान ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि मीडिया के एक वर्ग में सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने का दावा करने वाली कुछ खबरें निराधार हैं.

"कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल रहा है. वेतन संरचना के कारण एचआरटीसी कर्मचारियों के वेतन में देरी हो रही थी. मुझे सूचित किया गया था कि उन्हें हर महीने की 10 तारीख को वेतन मिल रहा था. यह मुद्दा हमारे संज्ञान में लाया गया है और हम जल्द ही इसका पता लगाएंगे." उन्होंने 24 से 48 घंटे के बीच वेतन मिलने की बात कही है. 

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इन कर्मियों को नहीं मिला वेतन
लगभग 15000 सरकारी कर्मचारियों, जिनमें 11000 एचआरटीसी कर्मचारी शामिल हैं, के वेतन में 15 दिन की देरी हुई है. जिन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, उनमें से अधिकांश एचआरटीसी, वन निगम, श्रम और रोजगार, मेडिकल कॉलेज और सिंचाई विभाग के कर्मचारियों सहित बोर्ड और निगमों के कर्मी हैं.

एक दशक से घाटे में HRTC
राज्य परिवहन निगम पिछले एक दशक से घाटे में चल रहा है. रियायती यात्राओं और कुप्रबंधन के कारण वित्तीय गड़बड़ी हुई है. 3132 बसों का बेड़ा घाटे में चल रहा था जो पिछले कुछ वर्षों में 1355 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. निगम को प्रति माह चार करोड़ रुपये का नुकसान होता है. पिछली भाजपा सरकार ने घाटे के बावजूद 'नारी को नमन' योजना शुरू की जिसमें महिला यात्रियों को 50 प्रतिशत रियायत पर बस सुविधा दी जाती है. इस योजना से भी करीब 60 करोड़ रुपये सालाना का नुकसान हुआ.

भारी कर्ज में डूबा है हिमाचल
राज्य भारी कर्ज में डूबा हुआ है जो बढ़कर लगभग 76,000 करोड़ रुपये हो गया है. कोषागार 1000 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट पर चल रहे थे. हालांकि राज्य 800 करोड़ रुपये का कर्ज मांग रहा है, लेकिन यह समुद्र में एक बूंद के बराबर होगा. राज्य को वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. पीडब्ल्यूडी के 6000 करोड़ रुपये के अवैतनिक बिल एक और चुनौती है. राज्य सरकार को ऋण चुकाने के लिए अतिरिक्त 11000 रुपये की भी जरूरत होगी.

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मुफ्त सुविधाओं से खराब हो रही स्थिति
एक और हालिया झटका केंद्र सरकार की ओर से आया जिसने ऋण सीमा को 5% से घटाकर 3.5% कर दिया है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकार केवल सकल घरेलू उत्पाद का 3.5% ही जुटा पाएगी. वास्तव में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पुनर्जीवित करने, खाली पदों को भरने और संविदा नौकरियों को नियमित करने के अलावा महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा, मुफ्त बिजली जैसी मुफ्त सुविधाएं देने से स्थिति और खराब हो रही है. ओपीएस के लिए सरकार को चालू वित्त वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

 

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