Google Doodle: गूगल ने आज डॉक्टर कमल रणदिवे को समर्पित किया Doodle, जानें कौन हैं ये महिला

Google Doodle Today Dr. Kamal Ranadive: डॉ रणदिवे की आज 104वीं जयंती है. गूगल ने आज (8 नवंबर) अपना डूडल भारतीय बायोमेडिकल रिसर्चर डॉ कमल जयसिंह रणदिवे को समर्पित किया है. आइए जानते हैं डॉक्टर कमल रणदिवे के बारे में खास बातें..

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Google doodle Dr. Kamal Ranadive: Google doodle Dr. Kamal Ranadive:

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST
  • रणदिवे का जन्म 8 नवंबर 1917 में पुणे में हुआ था
  • 1982 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया

Google Doodle Celebrate Dr. Kamal Ranadive's Birthday: सर्च इंजन गूगल ने आज (8 नवंबर) अपना डूडल भारतीय बायोमेडिकल रिसर्चर डॉ कमल जयसिंह रणदिवे को समर्पित किया है. डॉ रणदिवे की आज 104वीं जयंती है. रणदिवे को कैंसर और वायरस के बीच संबंधों के बारे में रिसर्च के लिए जाना जाता है. इस डूडल में डॉ रणदिवे एक माइक्रोस्कोप को देख रही हैं. 

आज का डूडल भारत के गेस्ट आर्टिस्ट इब्राहिम रयिन्ताकथ द्वारा बनाया गया है. इसके बारे में बताते हुए  रयिन्ताकथ ने कहा, "मेरी प्रेरणा का मुख्य स्रोत 20 वीं शताब्दी की लैब अस्थेटिक्स और कुष्ठ व कैंसर से संबंधित कोशिकाओं की सूक्ष्म दुनिया थी". 

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कौन हैं डॉ कमल जयसिंह रणदिवे?
कमल रणदिवे का जन्म 8 नवंबर 1917 में पुणे में हुआ था. उन्हें कमल समरथ के नाम से भी जाना जाता है. उनके पिता दिनकर दत्तात्रेय ने रणदिवे को मेडिकल एजुकेशन के लिए उन्हें प्ररित किया. वे खुद एक जीवविज्ञानी थे और पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाते थे. 

1960 के दशक में, रणदिवे ने मुंबई में भारतीय कैंसर अनुसंधान केंद्र (ICRC) में भारत की पहली ऊतक संस्कृति अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की. आईसीआरसी में उन्होंने एक शोधकर्ता के रूप में काम करते हुए, कोशिका विज्ञान, कोशिकाओं के अध्ययन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. 

बाल्टीमोर, मैरीलैंड, यूएसए में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में फेलोशिप के बाद रणदिवे मुंबई और आईसीआरसी लौट आईं जहां उन्होंने देश की पहली प्रयोगशाला की स्थापना की. रणदिवे ने माइकोबैक्टीरियम लेप्राई का अध्ययन किया, जो जीवाणु कुष्ठ रोग का कारण बनता है. 

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1966 से 1970 तक उन्होंने भारतीय कैंसर अनुसंधान केंद्र के निदेशक का पद संभाला. 1960 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपने सहायकों के साथ, टिशू कल्चर मीडिया और संबंधित अभिकर्मकों का विकास किया. 

1973 में डॉ. रणदिवे और उनके 11 सहयोगियों ने वैज्ञानिक क्षेत्रों में महिलाओं का समर्थन करने के लिए भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ (IWSA) की स्थापना की. 1982 में उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. 

1989 में सेवानिवृत्त होने के बाद, डॉ रणदिवे ने महाराष्ट्र में ग्रामीण समुदायों में काम किया, महिलाओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में प्रशिक्षण दिया और स्वास्थ्य व पोषण शिक्षा प्रदान की. 11 अप्रैल 2001 को 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. 

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