गुलामी की सोच से आजादी, Gen-Z के हुनर पर भरोसा... वीर बाल दिवस पर PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीर बाल दिवस के मौके गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया. पीएम मोदी ने कहा कि देश अब अपने नायकों के शौर्य को सम्मान दे रहा है. उन्होंने Gen Z और Gen Alpha को विकसित भारत का आधार बताते हुए आत्मनिर्भरता और राष्ट्रहित में योगदान का संदेश दिया.

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 पीएम मोदी ने वीर बाल दिवस के मौके पर भारत मंडपम में बच्चों को संबोधित किया. (Photo: PTI) पीएम मोदी ने वीर बाल दिवस के मौके पर भारत मंडपम में बच्चों को संबोधित किया. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 'वीर बाल दिवस' के मौके पर राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. वीर बाल दिवस गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों- जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अद्वितीय बलिदान को याद करने के लिए समर्पित है. 9 जनवरी, 2022 को गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर, पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि हर वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा, ताकि साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को याद किया जा सके, जिनका अद्वितीय बलिदान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने तय किया है कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी. अब हम भारतीयों के बलिदान, हमारे शौर्य की स्मृतियां दबेंगी नहीं. अब देश के नायक-नायिकाओं को हाशिये पर नहीं रखा जाएगा, और इसलिए 'वीर बाल दिवस' को हम पूरे मनोभाव से मना रहे हैं. गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हमारे देश में, भाषाई विविधता हमारी ताकत बन रही है. उन्होंने कहा, 'Gen Z, Gen Alpha... आपकी जनरेशन ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी. मैं Gen Z की योग्यता, आपका आत्मविश्वास देखता हूं, समझता हूं और इसलिए आप पर बहुत भरोसा करता हूं.'

गुलामी वाली सोच से आजादी का आह्वान

प्रधानमंत्री ने गुलामी वाली सोच से आजादी का आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'मैकाले द्वारा रची गई साजिश को पूरी तरह से नाकाम करने में केवल दस वर्ष शेष हैं. इन दस वर्षों में हम राष्ट्र को गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त कर देंगे. यह 140 करोड़ देशवासियों का सामूहिक संकल्प होना चाहिए. जिस क्षण राष्ट्र इस मानसिकता से मुक्त होगा, वह स्वदेशी होने पर और भी अधिक गर्व करेगा और आत्मनिर्भरता के पथ पर और भी अधिक दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेगा.'

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पीएम ने कार्यक्रम में मौजूद बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, 'पहले युवा सपने देखने से भी डरते थे, क्योंकि पुरानी व्यवस्थाओं में ये माहौल बन गया था कि कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता. चारों ओर निराशा का वातावरण था. लेकिन आज देश टैलेंट को खोजता है, उन्हें मंच देता है. डिजिटल इंडिया की सफलता के कारण आपके पास इंटरनेट की ताकत है, आपके पास सीखने का संसाधन है. जो साइंस, टेक या स्टार्टअप्स में आगे जाना चाहते हैं तो उनके लिए स्टार्टअप इंडिया मिशन है. ऐसे तमाम मंच आपको आगे बढ़ाने के लिए हैं. आपको बस फोकस रहना है और इसके लिए जरूरी है कि आप शॉर्ट टर्म पॉपुलैरिटी की चमक-धमक में न फंसे. आपको अपनी सफलता को केवल अपने तक सीमित नहीं मानना है. आपका लक्ष्य होना चाहिए, आपकी सफलता देश की सफलता बननी चाहिए.'

वीर साहिबजादे हमारे भारत का गौरव हैं

पीएम मोदी ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा, 'आज देश वीर बाल दिवस मना रहा है. आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो हमारे भारत का गौरव हैं. जो भारत के अदम्य साहस, शौर्य और वीरता की पराकाष्ठा हैं. वो वीर साहिबजादे, जिन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया, जो क्रूर मुगल सल्तनत के सामने ऐसे चट्टान की तरह खड़े हुए कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया. जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता है.'

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते 4 वर्षों में वीर बाल दिवस की नई परंपरा ने साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है. वीर बाल दिवस ने साहसी और प्रतिभावान युवाओं के लिए एक मंच भी तैयार किया है. हर साल जो बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों में देश के लिए जो कुछ कर दिखाते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. उन्होंने कहा कि साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी को छोटी-सी उम्र में उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा. वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी. वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य की थी.

वीर साहिबजादे त्याग के साक्षात अवतार थे

पीएम मोदी ने कहा, 'उस लड़ाई के एक ओर दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी थे, तो दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी. हमारे साहिबजादे उस समय छोटे थे, लेकिन औरंगजेब को और उसकी क्रूरता को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता था. औरंगजेब जानता था कि अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है, तो उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा, और उसने साहिबजादों को निशाना बनाया. लेकिन औरंगजेब और उसके सिपहसालार भूल गए थे कि हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, वो तो त्याग के साक्षात अवतार थे. वीर साहिबजादों को वही विरासत मिली थी. इसलिए चारों साहिबजादों को मुगलिया बादशाहत डिगा नहीं पाई.'

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