केरल के मलप्पुरम जिले में अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस (जिसे आमतौर पर मस्तिष्क-खाने वाले अमीबा के रूप में जाना जाता है) के 17 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. इसी बीच वांडूर ब्लॉक में दो नए मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अहम बैठक बुलाई, जिसमें इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए गए. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और प्रदूषित पानी से दूर रहने की सलाह दी है.
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार जिला मेडिकल ऑफिसर (DMO) डॉ. आर. रेनुका ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'वांडूर ब्लॉक में अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस के दो मामले सामने आए हैं. इसके बाद हमने विधायक और अन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की. हमने जनता के बीच बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है. हमने पानी के टैंकों और सभी पानी के कंटेनरों की सफाई की योजना तैयार की है... मलप्पुरम जिले में कुल 17 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 5 लोगों की मौतें हो गई है.'
10 मरीजों का चल रहा है इलाज
इसके अलावा स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत हो गई. मलप्पुरम जिले के चेलाम्बरा निवासी शाजी (47) पिछले महीने केरल में तथाकथित "दिमाग खाने वाले" संक्रमण से मरने वाले छठे व्यक्ति हैं.
मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार, शाजी को 9 अगस्त को भर्ती कराया गया था. उनकी हालत गंभीर हो गई और गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई. स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में 10 मरीजों का इलाज चल रहा है.
जुलाई से सामने आ रहे हैं मामले
दरअसल, बीते जुलाई से लगातार सामने दिमागी बुखार के मामले सामने आ रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने राज्य के उत्तरी जिलों में कुओं और तालाबों के क्लोरीनीकरण समेत सफाई अभियान शुरू कर दिया है.
आपको बता दें कि अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो नायग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के कारण होती है. ये अमीबा आमतौर पर गंदे या प्रदूषित पानी में पाया जाता है और नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचकर गंभीर संक्रमण पैदा करता है. इस बीमारी के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, उल्टी और गर्दन में अकड़न शामिल हैं और ये अक्सर घातक साबित होती है.
aajtak.in