'क्या सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर लौट रही है?', MSP पर केंद्र के प्रस्ताव पर नवजोत सिद्धू ने उठाए सवाल

केंद्र सरकार की ओर से किसानों को MSP को लेकर जो प्रस्ताव दिए गए हैं, उसको लेकर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाए हैं. सिद्धू ने पूछा है कि क्या हम एक बार फिर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर लौट रहे हैं?

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सरकार के प्रस्ताव पर सिद्धू ने उठाए सवाल सरकार के प्रस्ताव पर सिद्धू ने उठाए सवाल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST

सरकार और किसानों के बीच हुई बातचीत में केंद्रीय मंत्रियों की ओर से MSP की गारंटी को लेकर जो प्रस्ताव दिया गया है, उसको लेकर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाए हैं. सिद्धू ने पूछा है कि क्या सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर लौट रही है? 

कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "किसान आंदोलन का असली मुद्दा C2+50 स्वामीनाथन फॉर्मूला पर फसलों की सुनिश्चित खरीद का कानून है, MSP कानून के बजाय केंद्र सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर लौट रही है, जिसके खिलाफ 380 दिनों तक किसान आंदोलन किया गया था. तीन कृषि कानूनों में से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर कानून था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया. क्या हम वापस उसी स्थित में आ गए हैं?" 

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पीयूष गोयल ने बातचीत पर क्या बताया? 

दरअसल रविवार देर रात तक किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बातचीत हुई थी. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि शांतिपूर्ण माहौल में किसानों के साथ सकारात्मक बातचीत हुई. उन्होंने आगे बताया कि हमने मिलकर एक बहुत ही इनोवेटिव, आउट-ऑफ-द-बॉक्स विचार प्रस्तावित किया है. सरकार प्रवर्तित NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) और NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) जैसी सहकारी समितियों का गठन करेगी और अगले 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट करेगी. किसानों से एमएसपी पर उत्पाद खरीदेंगे, जिसमें खरीद की कोई लिमिट नहीं होगी.  

किसान संगठनों ने क्या बताया? 

इस किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "हम सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और उस पर राय लेंगे. निर्णय आज सुबह, शाम या परसों तक लिया जाएगा. मंत्रियों ने कहा कि दिल्ली लौटने के बाद वे अन्य मांगों पर चर्चा करेंगे. चर्चा 19-20 फरवरी को होगी और 21 फरवरी को होने वाले 'दिल्ली चलो' मार्च पर चर्चा के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. हम (सरकार और किसान संघ) मिलकर मुद्दों का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे.

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