किसान नेता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया था. अब संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इसका ऐलान भी कर दिया है. एसकेएम ने ऐलान किया है कि 22 जुलाई से मॉनसून सत्र की समाप्ति तक हर रोज संसद के बाहर 200 प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करेंगे. इसमें हर किसान संगठन की तरफ से पांच सदस्य शामिल होंगे.
एसकेएम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 17 जुलाई से सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भी भेजा जाएगा. आगामी संसद सत्र में विपक्षी दलों को किसान आंदोलन की सफलता के लिए काम करने की चेतावनी दी जाएगी. एसकेएम ने कहा है कि हमने सरकार को पहले ही बता दिया है कि किसान नए कानून निरस्त करने से कम पर नहीं मानेंगे. यह निर्णय सिंघु बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक में लिया गया.
पंजाब के कृषि संगठनों की ओर से यह भी घोषणा की गई कि राज्य में बिजली की आपूर्ति की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के 'मोती महल' के घेराव के पूर्व घोषित कार्यक्रम को अभी स्थगित किया जाता है. एसकेएम की पिछली बैठक में यह पहले ही तय हो गया था कि डीजल और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा.
किसान बता चुके हैं क्यों काम नहीं करेंगे संशोधन
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के महीने में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ 11 दौर की औपचारिक वार्ता का हिस्सा थे. मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल कहते रहे हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है बशर्ते कि किसान उन प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए तैयार है जिनसे उन्हें समस्या है. मंत्रियों ने यह भी कहा है कि सरकार तीन काले केंद्रीय कानूनों को निरस्त नहीं करेगी. किसान पहले ही स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि संशोधन क्यों काम नहीं करेंगे. सरकार की मंशा भरोसेमंद नहीं है.
किसानों की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन
एसकेएम की ओर से कहा गया है कि किसान जानते हैं कि कानूनों को जीवित रखने से विभिन्न तरीकों से किसानों की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन करने के उद्देश्य के लिए कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग होगा. किसान संगठन की ओर से कहा गया है कि जब एक कानून का उद्देश्य ही गलत हो गया है और यह किसानों के खिलाफ है तो यह स्पष्ट है कि कानून के अधिकांश खंड उन गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होंगे. सिर्फ इधर-उधर छेड़छाड़ करने से काम नहीं चलेगा. किसानों ने यह भी कहा है कि इन कानूनों को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से लाया गया है. केंद्र सरकार ने उन क्षेत्रों में कदम रखा है जहां उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है.
अलोकतांत्रिक प्रक्रिया से थोपा गया कानून
एसकेएम ने कहा है कि केंद्र सरकार ने देश के किसानों पर कानून थोपने के लिए अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई. यह अस्वीकार्य है. किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अडिग हैं. दूसरी ओर सरकार ने अब तक एक भी कारण नहीं बताया है कि इन कानूनों को निरस्त क्यों नहीं किया जा सकता है. हम केवल यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के सबसे बड़े वर्ग- किसानों के साथ अहंकार का खेल खेल रही है और देश के अन्नदाता के ऊपर पूंजीपतियों के हितों को चुनना पसंद कर रही है.
पीलीभीत से बड़ी ट्रैक्टर रैली की योजना
एसकेएम ने कहा है कि सभी सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को मजबूत स्थानीय समर्थन मिला है. यूपी के पीलीभीत से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली की योजना बनाई जा रही है. अधिक किसान विरोध स्थलों पर पहुंच रहे हैं. जींद से ग्रामीणों से भारी मात्रा में गेहूं प्राप्त हुआ है. इसमें सिर्फ किसान ही शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि ट्रेड यूनियन, छात्र, वकील और अन्य एक्टिविस्ट भी शामिल हो रहे हैं. पंजाब के विभिन्न शहरों में युवाओं की ओर से शाम को यातायात चौराहों पर आयोजित किए जा रहे एकजुटता विरोध नियमित रूप से जारी है.
मिल्खा सिंह की स्मृति में हुआ मैराथन
गाजीपुर बॉर्डर पर बुलंदशहर जिले के मदनपुर गांव के 101 साल के किसान स्वर्ण सिंह करीब सात महीने से किसान आंदोलन का हिस्सा हैं. स्वर्ण सिंह ने कहा कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की खेती की रक्षा करने करने के जज्बे को सलाम करने आते हैं. वहीं, किसानों ने मिल्खा सिंह की स्मृति में गाजीपुर बॉर्डर पर किसान मजदूर मैराथन भी आयोजित किया.
अरविंद ओझा