कांग्रेस कमजोर होने के लिए हाईकमान जिम्मेदार, CWC की बैठक हो: नटवर सिंह

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी है. कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक होती नहीं है, यह बैठक बुलाया जाना चाहिए.

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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह (file-PTI) पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह (file-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST
  • 'लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कि कांग्रेस कमजोर हो जाए'
  • 'मेरे ख्याल में कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में नहीं जाएंगे'
  • लोकतंत्र के लिए मजबूत कांग्रेस की जरुरतः नटवर सिंह

पंजाब में जारी सियासी संकट पर कांग्रेस की खूब किरकिरी हो रही है. पार्टी आलाकमान के खिलाफ कई नेता खुलकर सामने आ गए हैं. इस बीच पूर्व विदेश मंत्री और राजीव गांधी के करीबी रहे नटवर सिंह ने पार्टी के कमजोर होने को लेकर हाईकमान जिम्मेदार ठहराया. साथ ही मांग की कि CWC की बैठक बुलाई जाए.

कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के फैसले के बारे में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, 'मैं अमरिंदर सिंह से मिला नहीं हूं. जानबूझकर नहीं मिला क्योंकि वो यहां काफी मशरूफ रहे हैं. हम नहीं चाहते कि उनके परिवार के लोग परेशान करें. उन्होंने क्या निर्णय लिया ये मुझे नहीं मालूम.' हालांकि अमरिंदर के बीजेपी में जाने को लेकर नटवर सिंह ने कहा, 'मैं जरुर यह कह सकता हूं कि वो मेरे ख्याल में बीजेपी में नहीं जाएंगे. हो सकता है कि खुद पार्टी बनाएं.'

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कैप्टन अमरिंदर से पारिवारिक रिश्ता होने की वजह से जानकारी साझा किए जाने को लेकर नटवर सिंह ने कहा, 'मैंने जानबूझकर संपर्क नहीं किया. न ही मेरी पत्नी ने. वह यहां बहुत मशरूफ थे इसलिए उन्हें परेशान करना जरुरी नहीं समझा.'

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'लोकतंत्र के लिए मजबूत कांग्रेस की जरुरत' 

विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अमरिंदर के कांग्रेस से रिश्ता तोड़ने के फैसले पर पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कहा, 'इस समय कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं है. एक जमाना था कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कांग्रेस का राज था. अब रह गया है 3 राज्यों के अंदर. पंजाब का पता नहीं कि चुनाव का क्या नतीजा निकलेगा. पंजाब में चुनाव हार जाएंगे तो उनके पास 2 राज्य ही बचेगा.'

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उन्होंने कहा, 'ये तो देश के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि भारत को एक इस समय एक पुख्ता कांग्रेस की जरूरत है. लोकतंत्र के लिए मजबूत कांग्रेस की जरुरत है क्योंकि इस समय बीजेपी का कोई विरोधी भी नहीं है. राजीव गांधी के जमाने में 430 सीट आई थी और अब 52 सीट है. देश के लिए यह अच्छा नहीं है. लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है कि कांग्रेस कमजोर हो गई है.'

...जिम्मेदारी हाईकमान की

कांग्रेस के कमजोर होने के सवाल पर नटवर सिंह ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी है. कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक होती नहीं है, यह बैठक बुलाया जाना चाहिए. आलोचकों की ओर से हेडलेस पार्टी कहे जाने पर नटवर सिंह ने कहा कि मेरा गांधी परिवार के साथ करीब का रिश्ता रहा है, और इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. इसमें कोई दोराय नहीं कि जिम्मेदारी हाईकमान की है. 

नवजोत सिंह सिद्धू पर भरोसा करना क्या गलत फैसला साबित हुआ, के सवाल पर नटवर सिंह ने कहा कि मुझे पता नहीं कि वहां की सेचुएशन क्या है. वो वापस आ गए हैं या वापस नहीं आए हैं. पर जहां तक मुझे पता है कि उनको अध्यक्ष बनाया था प्रियंका गांधी ने, जबकि अमरिंदर सिंह इसके खिलाफ थे.

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दिल्ली कांग्रेस ने सिब्बल पर साधा निशाना

कांग्रेस आलाकमान को लगातार घेर रहे जी 23 नेताओं के खिलाफ दिल्ली कांग्रेस के सुर भी बदलने लगे हैं. दिल्ली कांग्रेस  प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पर जमकर निशाना साधते नजर आए. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि कपिल सिब्बल एक ऐसी शख्सियत हैं जिनको देश का हर व्यक्ति जानता है. कांग्रेस सरकार के दौरान दो बार मंत्री रहे. कांग्रेस ने उनको हर मुकाम दिया, लेकिन आज वह जो बयान दे रहे हैं वह कांग्रेस के आलाकमान से लेकर कांग्रेस के एक-एक वर्कर्स के मनोबल को तोड़ने वाला है.

उन्होंने कहा कि आप मीडिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर कांग्रेस परिवार की बातों को सबके सामने ला रहे हो जो पूरी तरह से इन डिसिप्लिन है. सिब्बल के घर जो हुआ हम उसके खिलाफ हैं लेकिन हम इस चीज के भी खिलाफ हैं कि पार्टी के नेता पार्टी के खिलाफ इन डिसिप्लिन अपना रहे हैं.

दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष जय किशन ने कहा कि इन सभी नेताओं को कांग्रेस ने राष्ट्रीय पहचान दी है. अनेक नेताओं को पार्टी ने बुलंदियों पर पहुंचाया जो एमएलए तक का चुनाव जीतने में सक्षम नहीं थे. इसके बावजूद ये नेता आज आलाकमान को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. जयकिशन ने ऐसे सभी नेताओं को सलाह दी है कि पहले वे अपने गिरेबान में झांके और देखें कि उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए क्या किया है और कितना योगदान दिया है.

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(इनपुट-सुशांत मेहरा)

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