एल्गार परिषद के आरोपी वरवर राव की जमानत बढ़ी, 1 मार्च को होगी सुनवाई

पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में, कथित भड़काऊ भाषण देने से जुड़े मामले के आरोपी और तेलुगु कवि वरवर राव को दी गई अस्थायी जमानत को 3 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है.

Advertisement
वरवर राव (फाइल फोटो) वरवर राव (फाइल फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 26 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST
  • राव को पिछले साल 22 फरवरी को छह महीने के लिए मेडिकल ग्राउंड पर जमानत दी गई थी
  • 1 मार्च को राव की याचिका पर सुनवाई की जाएगी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 में एल्गार परिषद के आरोपी और तेलुगु कवि वरवर राव को दी गई अस्थायी जमानत को 3 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है.

वरवर राव ने फरवरी 2020 में उन्हें दी गई अस्थायी जमानत की अवधि बढ़ाने और 2018 के मामले में मुकदमे के लंबित रहने तक हैदराबाद शिफ्ट करने के लिए याचिका दायर की थी. इस याचिका की सुनवाई जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एबी बोरकर की बैंच कर रही थी. राव को पिछले साल 22 फरवरी को छह महीने के लिए मेडिकल ग्राउंड पर जमानत दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था. 

Advertisement

1 मार्च को राव की याचिका पर सुनवाई की जाएगी. राव के अलावा, एक अन्य सह-आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुम्बडे ने भी जमानत की नामंज़ूरी के आदेश और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली अपनी याचिका का उल्लेख किया. इस याचिका की सुनवाई  2 मार्च को होगी.

याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की बैंच ने एल्गार परिषद मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. न्यायमूर्ति शिंदे की अगुवाई वाली बैंच ने मामले में दो मुख्य आरोपियों राव और सुधा भारद्वाज को जमानत देते हुए दो बड़े आदेश सुनाए थे. हालांकि, कार्यभार बदला तो मामला दूसरी बैंच के पास गया, जिसे जस्टिस नितिन जामदार और उसके बाद  जस्टिस पीबी वराले ने देखा.

हालांकि, जस्टिस वराले पिछले महीने इस मामले की सुनावई से अलग हो गए. इसलिए याचिकाएं सुनवाई के लिए जस्टिस शिंदे की अगुवाई वाली बैंच के सामने आईं. उनकी बैंच एक अन्य आरोपी स्टेन स्वामी द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी, जिनका न्यायिक हिरासत में निधन हो गया था. तब जस्टिस शिंदे ने स्वामी की समाज सेवा की सराहना करते हुए टिप्पणी की थी. एनआईए के वकील ने इस पर आपत्ति जताते हुए, जज को अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए कहा था.

Advertisement

हालांकि, जस्टिस शिंदे के अलग होने के बाद, चीफ जस्टिस को यह तय करना था कि कौन सी पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी और इसे जस्टिस एसबी शुक्रे और एबी बोरकर को सौंप दिया गया.

आपको बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में, कथित भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इसके अगले ही दिन, कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस के मुताबिक, यह सम्मेलन उन लोगों द्वारा आयोजित किया गया था जिनके माओवादियों से कथित तौर पर संबंध हैं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement