अक्टूबर में दस दिनों के लिए खुली इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री ने अब तक पांचवें सबसे ज्यादा बिक्री वाले चरण में नाम दर्ज करा लिय़ा है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक पहली से दसवीं अक्टूबर के बीच दस दिनों में कुल 614 करोड़ 33 लाख 95 हजार रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गये. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों से पहले ये आंकड़े काफी कुछ बताते हैं.
क्यों जरूरी चुनावी बॉन्ड्स?
राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में और ज्यादा पारदर्शिता रखने की गरज से केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना शुरू की. इसके तहत हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपये के बॉन्ड की श्रेणी तय की गई. स्टेट बेंक की शाखाओं से इनकी बिक्री की गई. राजनीतिक पार्टियों के लिए ये लाजिमी है कि उनको बॉन्ड्स के जरिए मिले चंदे को पखवाड़े भर के भीतर बैंक में अपने खाते में जमा कराएं. इसके साथ साथ उन पार्टियों को अपने खाते के सत्यापन के लिए केवाईसी भी करानी पड़ती है. राजनीतिक दलों को बॉन्ड्स से मिली रकम की जानकारी अपने सालाना आयव्यय पत्र में चुनाव आयोग को देनी पड़ती है.
अक्टूबर के महीने की रिपोर्ट
चुनावी बॉन्ड बिक्री के अठारहवें चरण में कोलकाता में 200 करोड़ रुपए, चेन्नई में 195 करोड़ रुपए और हैदराबाद में 140 करोड़ रुपए के बॉन्ड्स की बिक्री हुई. बिके हुए कुल बॉन्ड्स का भुगतान कराने में हैदराबाद की शाखा में 153 करोड़, कोलकाता में 140 और भुवनेश्वर में 125 करोड़ रुपए के बॉन्ड्स आए. एक करोड़ रुपये की दर वाले बॉन्ड में से नब्बे फीसदी बिक गए. मार्च 2018 से ये बॉन्ड्स की बिक्री शुरू हुई. साढ़े तीन साल से ज्यादा अबतक की इस अवधि में अठारह चरणों में 7994 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स बिके. कुल बिके बॉन्ड्स में एक करोड़ रुपए मूल्य वाले बॉन्ड्स का आंकड़ा 92 फीसदी रहा.
संजय शर्मा