चुनाव आयोग ने आजतक की ओर से दायर एक आरटीआई के जवाब में '45 दिनों में सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर देने' के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देने से इनकार कर दिया है. आयोग ने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए वह मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों में नष्ट करने के अपने फैसले का कारण नहीं बता सकता.
यह मामला 7 अगस्त, 2025 को राहुल गांधी की ओर से उठाए गए सवालों के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जिन्होंने कहा कि आयोग की यह कार्रवाई संदेह पैदा करती है. आजतक ने आरटीआई में आयोग के इस फैसले से जुड़े सभी दस्तावेज, फाइल नोटिंग और रिपोर्ट मांगी थी.
सीआईसी के फैसले पर सवाल
आरटीआई अधिनियम के तहत ईसीआई का यह बचाव सवालों के घेरे में है. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 2017 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि 'सब-जुडिस' (विचाराधीन) होना अपने आप में जानकारी रोकने का वैध कारण नहीं है.
सीआईसी ने यह भी स्पष्ट किया कि जानकारी तभी रोकी जा सकती है जब किसी अदालत ने विशेष रूप से ऐसा करने का निर्देश दिया हो, या फिर यह अदालत की अवमानना का कारण बने. ईसीआई ने ऐसे किसी भी विशिष्ट अदालत के आदेश का उल्लेख नहीं किया है.
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में क्या कहा?
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा, 'यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित रिट याचिका (सी) संख्या 18/2025 में 'जयराम रमेश बनाम भारत सरकार' के तहत विचाराधीन है. इसलिए, मांगी गई जानकारी इस स्तर पर प्रदान नहीं की जा सकती है.' इस मामले पर अब 11 अगस्त, 2025 को सुनवाई होगी. आजतक ने ईसीआई के इस जवाब के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण के पास अपील दायर की है.
अशोक उपाध्याय