देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन ने प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. चुनाव की अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी. संविधान के अनुच्छेद 324, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़े 1952 और 1974 के कानूनों के तहत यह जिम्मेदारी पूरी तरह निर्वाचन आयोग के अधीन होती है. आयोग की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वो उपराष्ट्रपति के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए.
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम की धारा 4(3) के अनुसार, अगर कार्यकाल सामान्य रूप से समाप्त हो रहा हो तो निर्वाचन आयोग को अधिसूचना निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति से 60 दिन पहले या उसके बाद जारी करनी होती है. इसका उद्देश्य यह है कि कार्यकाल खत्म होने से हफ्ते भर पहले ही उत्तराधिकारी चुन लिया जाए, जिससे संवैधानिक रिक्ति ना रहे.
निर्वाचक मंडल में लोकसभा-राज्यसभा के सदस्य
संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति से किया जाता है. इस निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 नामित सदस्य भी शामिल होते हैं. चूंकि सभी निर्वाचक संसद सदस्य हैं, इसलिए प्रत्येक का मत मूल्य '1' ही होगा.
कैसे होता है मतदान?
यह चुनाव गुप्त मतदान और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है. मतदाता को सभी प्रत्याशियों के आगे वरीयता क्रम में अंक अंकित करने होते हैं. यह अंक भारतीय अंकों, रोमन अंकों या मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं के अंकों में दिए जा सकते हैं, लेकिन शब्दों में नहीं. पहली वरीयता देना अनिवार्य है, बाकी वरीयताएं वैकल्पिक होती हैं.
निर्वाचन आयोग मतदान के लिए विशेष स्याही वाली कलम देगा, जिसे मतदान केंद्र पर ही उपलब्ध कराया जाएगा. किसी अन्य पेन से मतदान करने पर मत अमान्य घोषित कर दिया जाएगा.
नामांकन और जरूरी शर्तें
लोकसभा और राज्यसभा के महासचिवों को बारी-बारी से रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाता है. संसद भवन में सहायक रिटर्निंग ऑफिसर भी नियुक्त किए जाएंगे. नामांकन पत्र केवल नई दिल्ली में सार्वजनिक सूचना में बताए गए स्थान पर ही रिटर्निंग ऑफिसर को दिए जा सकते हैं.
नामांकन पत्र फॉर्म-3 में भरना होगा, जो अवकाश छोड़कर सुबह 11 से दोपहर 3 बजे के बीच स्वीकार किए जाएंगे. हर नामांकन पत्र में कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक होने चाहिए. कोई भी निर्वाचक केवल एक ही प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक या अनुमोदक हो सकता है.
प्रत्याशी अधिकतम 4 नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है. नामांकन के साथ ₹15,000/- की जमानत राशि जमा करनी होती है, जो आरबीआई या सरकारी कोषागार में जमा की जा सकती है. अद्यतन निर्वाचक सूची आयोग से ₹50 प्रति सूची की दर से खरीदी जा सकती है, यह वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी.
प्रत्याशी मतदान और मतगणना के लिए अपना अधिकृत प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते हैं, जिसके लिए लिखित प्राधिकरण देना जरूरी होगा.
सख्त नियम, गुप्त मतदान...
यह चुनाव पूरी तरह गुप्त मतदान के जरिए होता है. कोई भी मतदाता अपना मतपत्र किसी को नहीं दिखा सकता. मतदान डाले जाने से पहले मतपत्र को ठीक से मोड़ना अनिवार्य है. नियमों के उल्लंघन पर मत अमान्य घोषित हो सकता है.
राजनीतिक दल अपने सांसदों को किसी प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने का 'व्हिप' जारी नहीं कर सकते. किसी भी प्रकार की रिश्वत, दबाव या अनुचित प्रभाव (IPC की धारा 171B और 171C) की स्थिति में चुनाव को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जा सकता है.
सहायक रिटर्निंग ऑफिसर मतदान सामग्री को संसद भवन तक लाने-ले जाने में मदद करेंगे. मतदान स्थल पर भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा. आयोग इस चुनाव को भी पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्लास्टिक और प्रतिबंधित सामग्री के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश देगा.
मतदान के दिन ही होगी मतगणना
मतदान वाली शाम को ही मतगणना की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसकी निगरानी रिटर्निंग ऑफिसर करेंगे. मतगणना नई दिल्ली में होगी. परिणाम घोषित होने के बाद विजयी प्रत्याशी के नाम के साथ 'रिटर्न ऑफ इलेक्शन' (फॉर्म-7) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
संजय शर्मा