सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि रूसी सशस्त्र बलों में काम करने वाले आठ भारतीयों की मौत हो गई है. एक प्रश्न के उत्तर में, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि उपलब्ध जानकारी से सामने आया है कि 12 भारतीय नागरिक पहले ही रूसी सशस्त्र बल छोड़ चुके हैं, जबकि अन्य 63 लोग जल्दी ही रिहाई की मांग कर रहे हैं. विदेश राज्य मंत्री ने कहा, 'आठ मौतों की सूचना मिली है, और मृतकों की नागरिकता के संबंध में सामने आया है कि वे भारतीय हैं.'
उन्होंने कहा कि सरकार को कथित तौर पर अस्पष्ट परिस्थितियों में रूसी सशस्त्र बलों में भर्ती किए गए कुछ भारतीय नागरिकों को जल्द छोड़े जाने को लेकर अनुरोध मिले हैं. उन्होंने कहा, ''ऐसे भारतीय नागरिकों की सही संख्या ज्ञात नहीं है.'' कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, "वर्तमान में उपलब्ध जानकारी से संकेत मिलता है कि 12 भारतीय नागरिक पहले ही रूसी सशस्त्र बल छोड़ चुके हैं, जबकि अन्य 63 व्यक्ति जल्दी ही रिहाई की मांग कर रहे हैं."
मंत्री ने कहा कि चार भारतीय नागरिकों के शवों को भारत लाने के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई है और आवश्यकता पड़ने पर यह अन्य मामलों के लिए भी उपलब्ध है.
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, रूसी संघ की सरकार ने सूचित किया है कि मृत व्यक्तियों के परिवारों को उनके द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंध के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा." मंत्री ने कहा कि रूसी सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई, साथ ही उनकी सुरक्षा और भलाई का मुद्दा सरकार ने विभिन्न स्तरों पर रूस के संबंधित अधिकारियों के साथ दृढ़ता से उठाया है.
उन्होंने कहा, 'जुलाई में अपनी रूस यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी सशस्त्र बलों से सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई की तत्काल आवश्यकता को दोहराया था." जून में, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि रूसी सेना में सेवारत भारतीय नागरिकों का मुद्दा चिंता का विषय है और इस पर मॉस्को से कार्रवाई की मांग की गई. भारत ने कहा कि दो भारतीय नागरिक, जिन्हें रूसी सेना में भर्ती किया गया था, 11 जून को, रूस-यूक्रेन संघर्ष में मारे गए थे. दो भारतीयों की मौत के बाद, विदेश मंत्रालय ने रूसी सेना द्वारा भारतीय नागरिकों की आगे की भर्ती पर "सत्यापित रोक" की मांग की. भारत ने कड़े शब्दों में रूसी सेना द्वारा ऐसी किसी भी भर्ती पर रोक लगाने के लिए कहा है.
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