...जब के. सुरेश की चुनावी जीत को हाईकोर्ट ने बताया था अवैध, जानें- फिर कैसे बची थी सांसदी

कांग्रेस के दिग्गज नेता के सुरेश का पहला नाम तिरुवनंतपुरम के कोडिकुन्निल से लिया गया है, जहां उनका जन्म 4 जून 1962 को हुआ था. सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी. बता दें कि के सुरेश 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे.

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कांग्रेस नेता के. सुरेश (फोटो- PTI) कांग्रेस नेता के. सुरेश (फोटो- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:44 PM IST

लोकसभा स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है. सत्तापक्ष ने ओम बिरला तो विपक्ष ने कोडिकुन्निल सुरेश को अपना कैंडिडेट बनाया है. 26 जून यानी बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब अगले अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मतदान कराएंगे. एक ओर ओम बिरला राजस्थान के कोटा से तीन बार के सांसद हैं, वहीं के सुरेश केरल के मवेलीकारा से 8 बार के सांसद हैं. आइए जानते हैं कैसा रहा है कांग्रेस नेता के सुरेश का राजनीतिक सफर...

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कांग्रेस के दिग्गज नेता के सुरेश का पहला नाम तिरुवनंतपुरम के कोडिकुन्निल से लिया गया है, जहां उनका जन्म 4 जून 1962 को हुआ था. सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी. बता दें कि के सुरेश 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे. 

2009 में के. सुरेश फिर से चुनाव लड़े और जीते. लेकिन उनकी जीत को उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ने चुनौती दी, जिन्होंने आरोप लगाया कि के. सुरेश ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश किया था और कहा था कि वे ईसाई हैं. केरल हाईकोर्ट ने उनकी जीत को अवैध घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया था. 

​​सीपीआई के हारे हुए उम्मीदवार ए एस अनिल कुमार और दो अन्य की चुनाव याचिका को स्वीकार करते हुए केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सुरेश 'चेरामार' समुदाय के सदस्य नहीं हैं और इसलिए अनुसूचित जाति के नहीं हैं. कोर्ट ने यह भी माना कि वे मावेलिकरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए "अयोग्य" हैं, क्योंकि यह अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. सुरेश ने कोट्टाराकारा और नेदुमंगद के तहसीलदारों द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र पेश किए थे. हालांकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वहां से उन्हें राहत मिली.

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कांग्रेस नेता के. सुरेश ने पहली बार 1989 में अदूर से लोकसभा में एंट्री की थी, और उसके बाद 1991, 1996 और 1999 में तीन बार इसी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने. जबकि 2009 के चुनाव में वह 48,046 वोटों के अंतर से मावेलिक्कारा से जीते थे. परिसीमन के बाद अदूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र नहीं रहा था. कांग्रेस नेता के. सुरेश ने लॉ की पढ़ाई की है. उन्होंने 2014, 2019 के बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से जीत हासिल की. ​​कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सुरेश ने 2024 के लोकसभा चुनाव में केरल के मावेलिक्कारा सीट से 10,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की है. उन्होंने अक्टूबर 2012 से 2014 तक श्रम राज्य मंत्री का जिम्मा भी संभाला है.

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