'उन्होंने स्वतंत्रता दिखाई... यही उनकी गलती थी', धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस का भाजपा पर तंज

पर्दे के पीछे क्या हुआ होगा, इसका संकेत देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह घबरा गई है और महाभियोग प्रक्रिया पर नियंत्रण पाने के लिए राज्यसभा के सभापति को हटा रही है.

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जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई, 2025 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. (File Photo: PTI) जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई, 2025 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. (File Photo: PTI)

अमित भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे और सरकार द्वारा इस मामले पर चुप्पी साधे रखने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा करके आग में घी डालने का काम किया है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर पूर्व उपराष्ट्रपति का स्टैंड ही उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ.

सिंघवी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'ऐसा लगता है कि धनखड़ द्वारा थोड़ी-बहुत स्वतंत्रता दिखाना, संभवतः देर से, उनकी असली गलती थी. उन्होंने कोई और गलती नहीं की थी.' आज तक ने पहले ही रिपोर्ट किया था कि धनखड़ और सरकार के बीच कुछ समय से अनबन चल रही थी. सूत्रों के अनुसार जस्टिस वर्मा जिनके घर से मार्च में भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, उनके खिलाफ विपक्ष द्वारा महाभियोग चलाने के प्रस्ताव को जगदीप धनखड़ द्वारा स्वीकार करने को लेकर हुआ विवाद ही उनके इस्तीफे का कारण बना.'

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महाभियोग प्रस्ताव और भाजपा की नाराजगी

सूत्रों ने बताया कि जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात की थी और राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करने के लिए विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर औपचारिक रूप से स्वीकार करने की तैयारी कर रहे थे. जेपी नड्डा और किरण रिजिजू समेत केंद्रीय मंत्रियों ने धनखड़ से बार-बार संपर्क किया ताकि प्रस्ताव को सर्वसम्मति वाला बनाया जा सके और सत्तारूढ़ दल के सांसदों के हस्ताक्षर शामिल किए जा सकें. लेकिन कथित तौर पर उन्होंने अपनी बात से पीछे हटने से इनकार कर दिया और राज्यसभा में केवल विपक्ष के हस्ताक्षर पढ़ने के अपने इरादे पर अड़े रहे. इससे भाजपा नाराज हो गई और धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया.

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पर्दे के पीछे क्या हुआ होगा, इसका संकेत देते हुए सिंघवी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह घबरा गई है और महाभियोग प्रक्रिया पर नियंत्रण पाने के लिए राज्यसभा के सभापति को हटा रही है. उन्होंने कहा, 'यह एक नियंत्रण-प्रेमी सरकार है. अगर दोनों सदनों में एक ही दिन प्रस्ताव लाया जाता है, तो दोनों सदनों के अध्यक्षों को मिलकर वैधानिक समिति बनानी होगी. यही वह कानून है जो दोनों सदनों के बीच किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा को रोकता है.' इसे संविधान के साथ छेड़छाड़ बताते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि घटनाओं की पूरी श्रृंखला ने भाजपा की असुरक्षा और संसदीय प्रक्रिया में हेरफेर को उजागर कर दिया है.

न्यायिक मामलों में भाजपा के दोहरे मानदंड: सिंघवी

अभिषेक मनु सिंघवी ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे बहाने न्यायिक मामलों में भाजपा के दोहरे मानदंडों पर हमला किया. उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस शेखर यादव के मामले में भगवा पार्टी द्वारा अलग-अलग मानदंड अपनाने का हवाला दिया. उन्होंने कहा, 'भाजपा का प्रस्तावों का खेल कानून से कम और दिखावे से ज्यादा जुड़ा है. न्यायिक मर्यादा, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और न्यायिक जवाबदेही के मामले में भाजपा का मंत्र है, सिर्फ बातें करो, अमल कभी मत करो.' 

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कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ने जस्टिस शेखर यादव पर बीजेपी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया, जिनकी विहिप के एक कार्यक्रम में विवादास्पद टिप्पणी और हेट स्पीच को बढ़ावा देने के लिए व्यापक रूप से आलोचना की गई थी. सिंघवी ने तंज कसते हुए कहा, 'आप लोकसभा बनाम राज्यसभा के बारे में बहुत खास हैं, लेकिन आप जस्टिस यादव पर उल्लेखनीय रूप से चुप्पी साधे हुए हैं, एक ऐसे व्यक्ति जिनकी टिप्पणियां एक एक्टिंग जज के रूप में किसी कानूनी तर्क की तुलना में एक राजनीतिक पार्टी के घोषणापत्र की तरह अधिक लगती हैं.'

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