चिराग पासवान ने की जातिगत जनगणना की वकालत, UCC पर भी की बात

चिराग पासवान ने यूसीसी के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि, जब तक इस पर एक मसौदा उनके सामने नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई पद नहीं ले सकते. हालाँकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) एक साथ चुनाव की अवधारणा का पुरजोर समर्थन करती है.

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चिराग पासवान (फोटो: अरुण कुमार) चिराग पासवान (फोटो: अरुण कुमार)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की वकालत की है. हालांकि आंकड़ों को सार्वजनिक करने को लेकर चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि, इससे समाज में "विभाजन" होगा. चिराग पासवान ने कहा कि सत्तासीन एनडीए के भीतर अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है. एक देश एक चुनाव और समान नागरिक संहिता, दोनों भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा हैं.

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चिराग पासवान ने यूसीसी के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि, जब तक इस पर एक मसौदा उनके सामने नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई पद नहीं ले सकते. हालाँकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) एक साथ चुनाव की अवधारणा का पुरजोर समर्थन करती है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर उनके विचार और क्या वह इसका समर्थन करते हैं, इस बारे में पूछे जाने पर, पासवान ने कहा, "हमारे पास अभी तक इसके लिए कोई मसौदा नहीं है. जब तक हम उस मसौदे पर गौर नहीं करते, क्योंकि इसे लेकर बहुत सारी चिंताएं हैं. भारत विविधताओं का देश है.”

चाहे वह भाषा हो, संस्कृति हो या जीवनशैली हो, देश के विभिन्न क्षेत्रों में सब कुछ अलग है, उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "आप सभी को एक छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं."
उन्होंने कहा, यूसीसी पर बहस में फोकस अक्सर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर होता है, लेकिन यह हिंदुओं के बारे में भी है, क्योंकि उनकी प्रथाएं और परंपराएं, जिनमें विवाह से जुड़ी प्रथाएं भी शामिल हैं और वह देश भर में अलग-अलग हैं.

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पासवान ने कहा, "मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को इससे बाहर रखा जा रहा है तो आप उन्हें इस छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं? इसलिए जब तक कोई मसौदा नहीं आता, मुझे नहीं लगता कि मैं इस सवाल का जवाब दे पाऊंगा." पासवान ने कहा कि जाति जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होनी चाहिए, क्योंकि समुदाय-आधारित विकास योजनाओं के लिए धन के पर्याप्त आवंटन के लिए विशिष्ट डेटा की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि अदालतें भी कई बार विभिन्न जातियों की जनसंख्या का डेटा मांगती हैं. हालांकि, तीसरी बार के लोकसभा सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि डेटा को सरकार के पास रखा जाना चाहिए और सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "मैं इस डेटा को सार्वजनिक करने के बिल्कुल भी समर्थन में नहीं हूं. इससे केवल समाज में विभाजन होता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल कहा था कि नई सरकार के सत्ता में आते ही जनगणना और परिसीमन होगा. नरेंद्र मोदी सरकार जून में लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी, हालाँकि भाजपा ने बिहार में जाति जनगणना का समर्थन किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक जाति के आधार पर राष्ट्र-वार जनगणना की विपक्ष की मांग पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

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यह पूछे जाने पर कि क्या कम बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखने वाली एनडीए सरकार के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रावधान लाना संभव होगा, पासवान ने कहा, "हां, बिल्कुल. क्यों नहीं?"  उन्होंने कहा, "'एक राष्ट्र, एक चुनाव' ऐसी चीज है जिसका मैंने और मेरी पार्टी ने पुरजोर समर्थन किया है. हमने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति को अपने सुझाव दिए थे. हम चर्चा के लिए अंतिम मसौदे के आने का इंतजार कर रहे हैं."

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