भारत की जनगणना 2027 के पहले चरण की प्री-टेस्ट प्रक्रिया 10-30 नवंबर 2025 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा नमूना क्षेत्रों में होगी. रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर मृत्युंजय कुमार नारायण ने शुक्रवार को गजट अधिसूचना में कहा कि 1-7 नवंबर तक स्व-गणना का विकल्प भी उपलब्ध होगा. यह देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें नागरिकों की जाति भी दर्ज की जाएगी.
प्री-टेस्ट का उद्देश्य 1 अप्रैल 2026 से 28 फरवरी 2027 तक होने वाली दो चरणों की जनगणना की प्रभावशीलता की जांच करना है. पहले चरण में मकानों का सूचीकरण होगा, जिसमें आवास की स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का डेटा एकत्र होगा. दूसरे चरण में जनसंख्या की गणना होगी, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण दर्ज होंगे. दूसरा चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा.
यह भारत की 16वीं जनगणना और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी. प्री-टेस्ट में प्रश्न, डेटा संग्रह, प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स, मोबाइल ऐप और सॉफ्टवेयर की जांच होगी ताकि मुख्य प्रक्रिया शुरू होने से पहले खामियां दूर की जा सकें. 34 लाख से अधिक गणनाकर्ता और सुपरवाइजर, और 1.3 लाख जनगणना कर्मी इसमें शामिल होंगे. मृत्युंजय कुमार नारायण ने बताया कि स्व-गणना के लिए 1-7 नवंबर 2025 तक ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध होगा, जिससे नागरिक स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे. यह कदम डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देगा और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा.
भारत की जनगणना (Census of India) देश की आबादी, जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और संसाधनों के वितरण का एक व्यापक सर्वेक्षण है. यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर द्वारा संचालित की जाती है. जनगणना हर 10 साल में एक बार होती है, जो संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत राज्य सूची में शामिल है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित की जाती है. इसका उद्देश्य नीति निर्माण, संसाधन आवंटन, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और विकास योजनाओं के लिए डेटा प्रदान करना है. आखिरी बाद 2011 में देश की जनगणना हुई थी और 2021 में ड्यू थी. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हो गई.
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