बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को तीन सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) पुलिसकर्मियों को अग्रिम जमानत दे दी है. इन पुलिसकर्मियों पर मुबंई रेलवे स्टेशन पर एक जौहरी से रंगदारी मांगने और धमकाने का आरोप है. आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने एक जौहरी से सोने के गहने और नकदी जबरन ले ली. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पुलिसकर्मियों को अग्रिम जमानत दे दी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 10 अगस्त, 2025 को सुबह 10.30 से 11 बजे के बीच हुई थी. जब जौहरी और उनकी बेटी मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से राजस्थान जा रहे थे. उसी वक्त प्लेटफार्म नंबर 5 पर बिना पहचान पत्र वाले पुलिसकर्मी मौजूद थे और उन्होंने जौहरी और उनकी बेटी से जांच के लिए अपना बैग खोलने को कहा. बैग की जांच के दौरान, बैग में 14 ग्राम सोने का टुकड़ा और 31,900 रुपये नकद मिले थे.
'आरोपियों ने गाली-गलौज कर की मारपीट'
जौहरी ने कहा कि उसने पुलिसकर्मियों को सामान की मौजूदगी के बारे में बताया था, लेकिन इसके बाद भी वे उसे और उसकी बेटी को पूछताछ के लिए कार्यालय कक्ष में ले गए और कथित तौर पर उन्हें धमकाना, गाली देना और मारपीट करना शुरू कर दिया तथा उन्हें पूरी रात जेल में रखने की चेतावनी दी तथा उनसे पैसे और सोना छोड़ने को कहा.
जोधपुर में दर्ज कराई FIR
इसके बाद रात करीब 11 बजे मुखबिर और उसकी बेटी इस घटना के कारण मानसिक रूप से परेशान हो गए और वापस राजस्थान चले गए. और घटना के बाद रात करीब 11:00 बजे उन्होंने शिकायत दर्ज कराई.
शिकायत के आधार पर जोधपुर के रतनगढ़ (जीआरपी) पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई, जिसे बाद में मुंबई सेंट्रल पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर कर दिया गया.
'हिरासत में पूछाताछ की जरूरत नहीं'
आरोपी पुलिसकर्मियों की ओर से पेश हुए वकील अनिकेत निकम ने दलील दी कि आवेदकों से हिरासत में पूछताछ जरूरी नहीं है और उनसे कुछ भी जब्त या बरामद नहीं किया जाना है. निकम ने दलील दी कि पुलिसकर्मी इस अपराध की आगे की जांच में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने को तैयार हैं और उन्होंने जमानत देने की अर्जी की.
वहीं, दूसरी ओर अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि पुलिसकर्मियों से हिरासत में पूछताछ जरूरी है, क्योंकि उन्होंने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के विपरीत काम किया है. जांचकर्ताओं ने कुछ चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए हैं जो जौहरी की बयान की पुष्टि करते हैं.
हालांकि, दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की पीठ ने गवाहों से संपर्क न करने के निर्देश के साथ गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी और पुलिसकर्मियों को 17-19 सितंबर के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी.
विद्या