क्या हाई कोर्ट जजों के चयन में SCBA तलाश रही अपनी भूमिका?

SCBA को भी मालूम है कि उनकी बनाई इस समिति की सिफारिशों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है. ये उच्च न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में भी दखल है. क्योंकि अभी तक तो सिर्फ हाई कोर्ट कॉलेजियम जजशिप के लिए अपने चयनित नामों की सूची केंद्र सरकार के मार्फत सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजता है.

Advertisement
हाई कोर्ट जजों के चयन में SCBA हुआ सक्रिय हाई कोर्ट जजों के चयन में SCBA हुआ सक्रिय

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2021,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST
  • HC जजों के चयन में SCBA हुआ सक्रिय
  • SCBA ने बनाई समिति, भेजेगी सुझाव
  • समिति की कानूनी मान्यता पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन यानी SCBA ने अपनी ओर से पहल करते हुए एक समिति बनाई है जो कॉलेजियम को ऐसे सीनियर एडवोकेट्स के नाम भेजेगी जो हाई कोर्ट में जज बनने की योग्यता रखते हैं.

हालांकि SCBA को भी मालूम है कि उनकी बनाई इस समिति की सिफारिशों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है. ये उच्च न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में भी दखल है. क्योंकि अभी तक तो सिर्फ हाई कोर्ट कॉलेजियम जजशिप के लिए अपने चयनित नामों की सूची केंद्र सरकार के मार्फत सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजता है. यानी न्यायपालिका ही हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति पर फैसला लेती है. इसमें कार्यपालिका का कोई दखल नहीं होता.

Advertisement

हाईकोर्ट जजों के चयन में SCBA की क्या भूमिका?

1990 के दशक में सुप्रीम कोर्ट के दो अलग अलग फैसलों से मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम बना और अब तक उसी आधार पर काम हो रहा है. संबंधित हाई कोर्ट के सीनियर जजों का कॉलेजियम वरिष्ठ वकीलों और निचली न्यायपालिका में से के उपयुक्त लोगों का चयन कर केंद्रीय न्याय और विधि मंत्रालय को भेजता है. वहां से राज्यपाल के जरिए फाइल मुख्यमंत्री, राज्य के गृह विभाग और मंत्रिमंडल तक पहुंचती है. खुफिया जांच रिपोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद ये फाइल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम तक पहुंच जाती है. वहां से मुहर लगने के बाद न्याय मंत्रालय उनकी नियुक्ति की फाइल राष्ट्रपति भवन भेजते हैं और वहां से नियुक्ति व शपथग्रहण का वारंट यानी परवाना जारी होता है. शुरुआत में दो साल के लिए अस्थाई जज बनाया जाता है. उनके दैनंदिन कामकाज और आदेश फैसलों की समीक्षा के बाद उनको स्थाई न्यायाधीश बना दिया जाता है. स्थाई बनाने का फैसला भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ही करता है.

Advertisement

क्लिक करें- 5जी पर जूही चावला की अर्जी खारिज, HC ने याचिका के लिए ठोंका 20 लाख का जुर्माना 

समिति बनाने के पीछे का उदेश्य?  

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह के मुताबिक इस सर्च कमेटी में सीनियर वकील महालक्ष्मी पवनि, राकेश द्विवेदी, शेखर नाफड़े, विजय हंसारिया और वी गिरी शामिल हैं.

SCBA पहले भी कई बार इस बात पर आपत्ति जता चुका है कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन स्थानीय वकीलों को हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश भेजते समय उन प्रतिभावान वकीलों के नाम नहीं भेजते तो उसी राज्य के हाई कोर्ट से संबंधित तो हैं लेकिन अधिकतर प्रैक्टिस सुप्रीम कोर्ट में ही करते हैं. उनके पास कानून और न्याय प्रणाली की बारीकियां समझने, उनकी व्याख्या करने और संविधान के पेचीदा मसलों पर अपनी समग्र दृष्टि रखते हुए हाईकोर्ट जज बनने की पूरी सामर्थ्य है. इसलिए ये सर्च कमेटी कॉलेजियम की मदद करना चाहती है.

कौन साथ कौन कर रहा विरोध?

लेकिन SCBA की इस पहल पर भिन्न विचार रखने वाले वकीलों की भी कमी नहीं. उनके मन में व्यवस्था और अव्यवस्था को लेकर मंथन चल रहा है. कई प्रश्न घुमड़ रहे हैं. फिर तो SCBA की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ऐडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने भी सर्च कमेटी बना ली तो? सभी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन भी इसी राह पर चल निकले तो? मुश्किल तो आएगी क्योंकि ये राह अब तक कानून सम्मत तो नहीं है!
 

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement