आंध्र प्रदेश: मॉनसूनी मच्छरों से निपटने के लिए एआई का इस्तेमाल करेगी सरकार, इन 66 जगहों से शुरुआत

सरकार का मकसद मॉनसून के दौरान मच्छर की वजह से फैलने वाली बीमारियों से लोगों को बचाना है. स्मार्ट मच्छर निगरानी प्रणाली (SMoSS) नाम का यह सिस्टम मच्छरों की तादाद को सुरक्षित रूप से ट्रैक करने और कंट्रोल करने में मदद करेगा.

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मच्छरों से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार का नया प्लान (प्रतीकात्मक तस्वीर/फाइल) मच्छरों से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार का नया प्लान (प्रतीकात्मक तस्वीर/फाइल)

अपूर्वा जयचंद्रन

  • अमरावती,
  • 07 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

आंध्र प्रदेश की सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) उपकरणों का उपयोग करके एक एडवांस रूप में मच्छर नियंत्रण पहल शुरू कर रही है. सरकार का मकसद मॉनसून के दौरान मच्छर जनित बीमारियों से लोगों को बचाना है. स्मार्ट मच्छर निगरानी प्रणाली (SMoSS) नाम का यह सिस्टम मच्छरों की तादाद को सुरक्षित रूप से ट्रैक करने और कंट्रोल करने में मदद करेगा.

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पायलट प्रोजेक्ट छह प्रमुख नगर निगमों- विशाखापत्तनम (16), विजयवाड़ा (28), काकीनाडा (4), राजमहेंद्रवरम (5), नेल्लोर (7) और कुरनूल (6) में 66 जगहों पर शुरू होगा. इस पहल का नेतृत्व नगर प्रशासन और शहरी विकास (MAUD) विभाग द्वारा किया जा रहा है.

कैसे काम करेगा एआई सिस्टम?

SMoSS मच्छरों की प्रजाति, लिंग, जनसंख्या घनत्व और तापमान और आर्द्रता जैसी मौसम की स्थिति का पता लगाने के लिए AI-पॉवर्ड मच्छर सेंसर, ड्रोन और अन्य स्मार्ट उपकरणों का उपयोग करता है. जब किसी इलाके में मच्छरों की तादाद सुरक्षित सीमा को पार कर जाती है, तो ऑटोमेटिक अलर्ट भेजे जाएंगे, जिससे टीमें तेजी से कार्रवाई कर सकें और छिड़काव या फॉगिंग ऑपरेशन कर सकें.

सिस्टम की क्षमताओं की समीक्षा करने वाले सुरेश कुमार और संपत कुमार के मुताबिक, "इससे मच्छरों पर प्रभावी कंट्रोल के लिए प्रभावित इलाकों में तत्काल रूप से किटाणु खत्म करने के लिए गैसों का उपयोग करना मुमकिन होगा. मौजूदा 'अंधाधुंध छिड़काव' प्रक्रिया का असर पहुत कम होता है. IoT सेंसर मच्छरों की संख्या पर नज़र रखेंगे और टारगेटेड एक्टिविटी को गाइड करेंगे."

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एक्सपर्ट्स ने क्या बताया?

अधिकारियों का कहना है कि लार्वीसाइड के छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग करके, सिस्टम कम वक्त में, कम रसायनों के साथ और कम लागत पर ज्यादा जमीन को कवर करेगा. इस सिस्टम में एक तय वक्त डैशबोर्ड भी शामिल है, जो एक केंद्रीय सर्वर पर लाइव डेटा स्ट्रीम करता है, जिससे लगातार ट्रैकिंग और त्वरित प्रतिक्रिया की अनुमति मिलती है.

यह भी पढ़ें: Mosquito Sized Drone : मच्छर के साइज का ड्रोन, चीन ने बनाया हाईटेक डिवाइस, सेना करेगी यूज

MAUD के प्रधान सचिव एस सुरेश कुमार और नगर प्रशासन के निदेशक पी. संपत कुमार ने कहा, "हम ऑपरेशन को पूरी तरह से स्पेश्लाइज्ड एजेंसियों को आउटसोर्स करेंगे और परिचालन जवाबदेही तय करके भुगतान रिजल्ट-ओरिएंटेड होगा. नागरिकों और कार्यकर्ताओं की तरफ से आने वाली शिकायतों को मोबाइल एप्लिकेशन (वेक्टर कंट्रोल और पुरामित्र) के जरिए ट्रैक किया जाएगा."

राज्य भर के अस्पताल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मामलों की दैनिक रिपोर्ट भेजेंगे. इसके आधार पर मच्छरों के हॉटस्पॉट की पहचान की जाएगी और कार्रवाई के लिए टारगेट किया जाएगा. उन इलाकों में फॉगिंग और लार्वा उपचार के लिए स्पेशल प्लान तैयार किए जा रहे हैं.

अधिकारियों ने कहा, "SMoSS का पूरा फोकस पब्लिक हेल्थ की सुरक्षा करना है. यह ऐसे समय में हुआ है, जब मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार लगातार इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि राज्य को देश में सबसे पहले शासन में एआई को अपनाने वाला राज्य बनाया जाए. यह कदम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में एआई को एकीकृत करने की सरकार की कोशिशों को भी उजागर करता है.

 
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