मुहर्रम जुलूस के लिए शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, सुरक्षा की रखी मांग

इमाम हूसैन ने अपने परिवार सहित 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहादत दी थी. इसके लिए हर साल मुहर्रम में उनको याद कर मजलिसों (शोक सभाओं) का आयोजन होता है. शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि रातभर चलने वाले नौहा ख्वानी और मजलिसों (शोक सभाओं) को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जाए.

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मुहर्रम के लिए शिया समुदाय ने मांगी सुरक्षा (Source: PTI/File) मुहर्रम के लिए शिया समुदाय ने मांगी सुरक्षा (Source: PTI/File)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुहर्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. 8 जुलाई से मुहर्रम शुरू हो रहा है. प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में शिया बोर्ड ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की मांग रखी है. खासतौर पर जुलूस वाले रास्ते में बेहतर इंतजाम करने की अपील की है.

शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने देशभर में बेहतर इंतजाम और जुलूस निकालने को लेकर प्रबंध और सुरक्षा को लेकर चिट्ठी लिखी है. अपनी चिट्ठी में शिया बोर्ड ने स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित मार्गों से निकालने और जुलूसों के मार्ग में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की मांग की है, ताकि अराजक तत्व कानून व्यवस्था न बिगाड़ सकें.

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अक्सर करंट की चपेट में आ जाते हैं लोग

अक्सर देखा जाता है कि ताजिया के रूट में तारों की वजह से लोग करंट की चपेट में आ जाते हैं. कई बार इस तरह के हादसे में लोगों की मौत तक हो जाती है. चिट्ठी में इसके लिए रूट पर उचित व्यवस्था करने की मांग की गई है.

शिया बोर्ड ने पीएम को लिखी चिट्ठी में क्या कहा?

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी चिट्ठी में कहा, "मुहर्रम के महीने में लखनऊ और पूरे उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में शोक मनाने वाले संगठन पूरी रात जागकर विभिन्न स्थानों पर इमामबाड़ों में हजरत इमाम हुसैन की याद में नौहा ख्वानी और मजलिस (शोक सभा) करते हैं."

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पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा गया है, "आपसे अनुरोध है कि हर राज्य के मुख्यमंत्रियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दें कि ये मजलिसें (शोक सभाएं) सुरक्षित रूप से आयोजित की जाएं और जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि इन सभाओं में जाने वाले शोक मनाने वाले लोगों, खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना न करना पड़े और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए." 

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