आरोप, तकरार, अविश्वास और फिर एक गर्मजोशी भरी मुलाकात...संसद के शीतकालीन सत्र में ये नजारा लोकतांत्रिक सियासत की खूबसूरती बयां करती है. मौजूदा संसद के सत्र में वैसे तो कई नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई नोकझोंक को लेकर रही. आलम जगदीप धनखड़ के अविश्वास प्रस्ताव तक जा पहुंचा था. लेकिन मंगलवार को संसद में धनखड़ और खड़गे के बीच एक गर्मजोशी वाली मुलाकात देखने को मिली. दोनों मुस्करा के मिलते दिखे और आपस में बातचीत की.
उपराष्ट्रपति ने शेयर की तस्वीर
संसद में मुलाकात की इस तस्वीर को खुद उपराष्ट्रपति के एक्स हैंडल से शेयर किया गया है. दोनों मुस्कराते दिखे. ये तस्वीर इसलिए भी खास है क्योंकि कुछ दिनों से खड़गे और धनखड़ के बीच सदन में कई बार तीखी बहस देखने को मिली है. दोनों की बहस मजदूर और किसान के बेटे के विमर्श तक भी देखने को मिली.
सदन में धनखड़ पर भड़के थे खड़गे
राज्यसभा में शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्षी नेता खड़गे के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी.सभापति धनखड़ ने सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्ष पर भड़कते हुए कहा था कि मैंने आपको बहुत बर्दाश्त किया है लेकिन आपको किसान का बेटा बर्दाश्त नहीं हो रहा है. उनका इतना कहते ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने तपाक से कहा कि आप किसान के बेटे हैं तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं.
धनखड़ ने कहा था कि मानकर चलिए कि किसान का बेटा हूं. कमजोरी नहीं दिखाऊंगा. देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा. आप लोग चिंतन नहीं करेंगे. चौबीसों घंटे एक ही काम है कि किसान का बेटा यहां क्यों बैठा है? मैंने बहुत बर्दाश्त किया है. आज का किसान खेत तक सीमित नहीं है. आज का किसान हर जगह काम करता है. सरकारी नौकरी में है, उद्योग में है. आप प्रस्ताव लाए, आपका अधिकार है. प्रस्ताव पर चर्चा हो, आपका अधिकार है. लेकिन आपने क्या किया, संविधान की धज्जियां उड़ा दी.
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खड़गे भी हुए थे गुस्सा...
खड़गे ने धनखड़ से कहा था कि हम सदन में आपकी तारीफ करने के लिए नहीं आए हैं. इस पर धनखड़ ने कहा कि देश को पता है कि आप किसकी तारीफ सुनना चाहते हैं. मैं संविधान के नाम पर आपसे अपील करता हूं कि मेरे चैंबर में मुझसे बात करें. हम मिलकर काम करेंगे ताकि हम सदन को चला सकें.
लगाए थे ये आरोप
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि वह (जगदीप धनखड़) कभी सरकार की शान में कसीदे पढ़ने लगते हैं, कभी खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एकलव्य बताते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सभापति सीनियर-जूनियर का भी खयाल नहीं रखते और विपक्षी नेताओं के लिए राजनीतिक बयानबाजियां करने लगते हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि सभापति नहीं चाहते कि सदन में चर्चा हो. वह विपक्ष के नेताओं को बोलने से रोककर प्रवचन देने लगते हैं. खड़गे ने कहा था कि धनखड़ सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं.
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