शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे बुधवार को अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) अध्यक्ष राज ठाकरे के निवास 'शिवतीर्थ' पहुंचेंगे. यहां वे गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश के दर्शन करेंगे. यह मुलाकात खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि दशकों बाद ठाकरे परिवार के दोनों चचेरे भाई नजदीक आते दिख रहे हैं. आगामी 2026 की बीएमसी चुनाव से पहले इस राजनीतिक समीकरण पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
गौरतलब है कि उद्धव और राज ठाकरे ने करीब 20 साल बाद इसी साल जुलाई में एक साथ मंच साझा किया था. वर्ली में आयोजित उस रैली में दोनों ने राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया था. भारी दबाव के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह निर्णय वापस लेना पड़ा.
उस रैली में राज ठाकरे ने कहा था, “महाराष्ट्र किसी भी राजनीति से बड़ा है. आज 20 साल बाद हम दोनों साथ आए हैं. जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया.”
वहीं, उद्धव ठाकरे ने भी साफ कहा था कि हम साथ आए हैं तो साथ ही रहेंगे.
इसके बाद से ही दोनों ठाकरे लगातार एक-दूसरे के और करीब आते दिख रहे हैं. वर्ली रैली के कुछ दिन बाद राज ठाकरे उद्धव के जन्मदिन पर ‘मातोश्री’ भी पहुंचे थे, जहां दोनों ने बाल ठाकरे की तस्वीर के सामने मिलकर पोज दिया.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो मुंबई और आसपास के इलाकों में मराठी वोट बैंक पर इसका गहरा असर पड़ेगा. शिवसेना का पारंपरिक आधार हमेशा से मराठी मतदाताओं से जुड़ा रहा है और ठाकरे परिवार की यह नजदीकी बीएमसी चुनाव में बड़ा बदलाव ला सकती है.
ऋत्विक भालेकर