'दिल्ली जाकर रोने की क्या जरूरत?', अमित शाह से मीटिंग पर उद्धव ठाकरे का शिंदे पर तंज

उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब सत्ता पक्ष के नेता भी एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत करने दिल्ली जा रहे हैं. उन्होंने इशारों में मुख्यमंत्री शिंदे पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन में अंदरूनी खींचतान बढ़ रही है.

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सत्ता की खींचतान में उलझी महायुति पर उद्धव ठाकरे ने कसा तंज (Photo: PTI) सत्ता की खींचतान में उलझी महायुति पर उद्धव ठाकरे ने कसा तंज (Photo: PTI)

ऋत्विक भालेकर

  • मुंबई,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने हाल ही में प्रदेश की राजनीति को लेकर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पहले पैसे की दिक्कत से जूझते विपक्षी सांसद या विधायक शिकायत करते थे, लेकिन अब सत्ता में बैठे नेता भी एक-दूसरे की नसें कसने लगे हैं. 

अखबार में छपी एक खबर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कोई दिल्ली जाकर कह रहा है कि ‘बाबा, मुझे मारा गया है’. आखिर इतनी मजबूरी क्यों? अगर सही गुरु पहले मिल जाता तो ऐसी हालत न होती.”

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ठाकरे ने साफ कहा कि बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी की गठबंधन सरकार में अब अंदरूनी झगड़े बढ़ रहे हैं. बिना नाम लिए उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई दिल्ली जाकर शिकायत कर रहा है कि उसे तंग किया जा रहा है.

इसी खींचतान के चलते शिवसेना के मंत्री - शिंदे को छोड़कर - कैबिनेट मीटिंग में नहीं गए. वजह थी बीजेपी द्वारा उनके नेताओं को तोड़ने की कथित कोशिशें. बाद में देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना मंत्रियों की बैठक के बाद तय हुआ कि महायुति के दल एक-दूसरे के नेता नहीं तोड़ेंगे.

बता दें कि प्रदेश में महायुति के बीच चल रही राजनीतिक तनाव को लेकर बुधवार को एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी और शिकायत की थी कि माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है.

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‘रेवड़ी’ बनाम ‘फेवर’ की राजनीति

ठाकरे ने कहा कि विरोधियों की मुफ्त योजनाओं को ‘रेवड़ी’ कहने वाले अब अपने काम को ‘फेवर’ यानी एहसान कहते हैं. उनका कहना था कि आज की राजनीति में नाम तो बदल गया है, पर तरीका वही है.

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से की बात, महायुती में राजनीतिक तनाव पर चर्चा

शिक्षा जैसे मुद्दे गायब, सत्ता की होड़ हावी

ठाकरे ने यह भी कहा कि अब न पढ़ाई की बात होती है, न बच्चों के भविष्य की. सब कुछ नेताओं को खींचने और जोड़ने की राजनीति पर टिका हुआ है. 

उन्होंने महाराष्ट्र की ‘मुख्यमंत्री लड़की बहिन योजना’ का उदाहरण दिया, जिसके चलते पिछली बार सरकार को बड़ी जीत मिली थी. उन्होंने इशारा किया कि योजनाएं तो चल रही हैं, पर नीयत सत्ता की राजनीति पर ज्यादा टिकी है.

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